देश में इस साल मानसून सामान्य रहने का अनुमान है और मानसून के चार महीने के दौरान दीर्घावधि औसत की 96 प्रतिशत बारिश होगी। मौसम विभाग ने सोमवार को इस साल के दक्षिण-पश्चिम मानसून का पहला पूर्वानुमान जारी किया।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. राजीवन और भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. के. जे. रमेश ने बताया कि इस साल मानसून के दौरान जून से सितंबर तक वर्षा लगभग सामान्य रहने का अनुमान है। दीर्घावधि औसत का 96 प्रतिशत बारिश होने का पूर्वानुमान है। वर्ष 1951 से 2000 तक मानसून के दौरान देश में औसत बारिश 890 मिलीमीटर है।
खरीफ की फसल के लिए लाभकारी होगा मानसून
उन्होंने बताया कि इस साल मानसून के दौरान अलनीनो की स्थितियां कमजोर रहने और मानसून के अंतिम दो महीनों में इसकी तीव्रता कम रहने के आसार हैं। इस बार मानसूनी बारिश का वितरण भी अच्छा रहेगा जो आगामी खरीफ मौसम की फसलों के लिए लाभकारी होगा।
मानसून के सामान्य से नीचे रहने के 55% से ज्यादा आसार- स्काइमेट
इससे पहले प्राइवेट एजेंसी स्काइमेट ने 2019 में देश में मानसून सामान्य से कम रहने का अनुमान जताया है। स्काइमेट के मुताबिक, इस साल मानसून में दीर्घावधि औसत (एलपीए) के मुकाबले 93% बारिश हो सकती है। इसमें 5% की अधिकता या कमी भी हो सकती है। जून-सितंबर के बीच मानसून में दीर्घावधि औसत 887 मिलीमीटर की तुलना में कम बारिश होगी। मानसून के सामान्य से नीचे रहने के 55% से ज्यादा आसार हैं।
फरवरी में स्काइमेट ने मानसून सामान्य रहने का अनुमान जताया था
इससे पहले स्काइमेट ने 25 फरवरी 2019 को रिपोर्ट जारी कर इस साल सामान्य मानसून रहने का अनुमान जताया था। स्काइमेट के मुताबिक, जनवरी में मौजूदा स्थिति को देखते हुए मानसून सामान्य रहने के संकेत मिले थे। इसलिए सामान्य मानसून का अनुमान जताया गया था। लेकिन मौजूदा परस्थितियों में काफी परिवर्तन देखने को मिला है।