पहले चरण के मतदान का आंकड़ा 2% तक और बढ़ेगा:पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रावत

Uncategorized देश

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि 90 करोड़ मतदाताओं वाले देश में मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग के पास 450 लोगों का स्टाफ है। उन्होंने बताया, ”संविधान की व्यवस्था से हम 1.5 करोड़ लोगों को लगा देते हैं। संविधान के मुताबिक, चुनाव के वक्त आयोग जब भी स्टाफ मांगेगा तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार को देना ही होगा। इसी व्यवस्था के अंतर्गत 450 स्टाफ वाले चुनाव आयोग के दफ्तर से करीब 1.5 करोड़ लोग जुड़ जाते हैं और मतदान आसानी से पूरा हो जाता है।”

रावत शुक्रवार को भास्कर के फेसबुक लाइव शो से जुड़े। इस दौरान उन्होंने चुनाव और प्रक्रिया से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब दिए। इस बार पहले चरण में मतदान कम रहने के सवाल पर उन्होंने कहा, इसके दो अहम कारण हैं। पहली वजह ये है कि वोटिंग के बाद नक्सल प्रभावित और दूरदराज इलाके से तुंरत पूरी जानकारी नहीं आ पाती। इसमें वक्त लगता है। जैसे ही पूरी जानकारी मिलेगी, मतदान प्रतिशत 1-2% बढ़ जाएगा।

रावत ने बताया कि फोटो वोटर स्लिप व्यवस्था के चलते भी प्रतिशत कम हुआ है। गरीब और कच्चे मकानों में रहने वाले लोगों के पास यह उपलब्ध नहीं हो पाता। इसके चलते भी वोट प्रतिशत में कुछ फर्क पड़ा है।

सवाल: आचार संहिता क्या आम जनता पर भी लागू होती है?
रावत ने बताया, “आचार संहिता सभी पार्टियों के सहमति से बना डॉक्यूमेंट है, इसके लिए कोई कानून नहीं है। लेकिन चुनाव में इसका पालन सभी पार्टियों द्वारा किया जाता है। आम जनता से इसका कोई वास्ता नहीं होता। ये सिर्फ सरकारों, अधिकारियों, पार्टियों और उम्मीदवारों पर लागू होता है।

सवाल: वीवीपैट क्या है?
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, ” वीवीपैट एक अहम मशीन है। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ईवीएम पर भरोसा बढ़ाने के लिए वीवीपैट (वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीन) लगाई जाए। शुरुआत में पहले 20 हजार मशीन खरीदी गई। 2017 में निर्णय किया गया था कि अब शत प्रतिशत पोलिंग बूथ पर मशीन लगेगी। ये प्रिंटर है। इसलिए यह मैकेनिकल है। इसलिए इसमें डिफेक्ट ज्यादा होते हैं। ईवीएम का फेलियर रेट 0.5% है, लेकिन वीवीपैट का फेलियर रेट 2-2.5% है। चुनाव आयोग के पास हर पोलिंग का हार्ड कॉपी रिकॉर्ड रहता है।”


सवाल: नोटा का प्रतिशत क्यों बढ़ रहा है?

रावत ने कहा, ” पिछले दिनों जबलपुर से जनता ने एक संदेश दिया था, राज्य की प्रमुख पार्टियां अच्छे उम्मीदवार नहीं उतारतीं तो वे थर्ड जेंडर उम्मीदवारों को उतारेंगी। उस चुनाव में मेयर का चुनाव एक पार्टी का जीता जिसका उम्मीदवार अच्छा था, लेकिन सदस्यों में अन्य पार्टी को बहुमत दिया। सिहोरा में थर्ड जेंडर के उम्मीदवार को मेयर बनाया। शहडोल में विधायक भी इसी जेंडर का जीता। पार्टियां संभल नहीं रही हैं। इसलिए नोटा बढ़ रहा है।”

सवाल: लालच में वोट देने पर वोटर पर क्या कार्रवाई होती है?
रावत ने बताया, ”रिश्वत का केस देने और लेने वाले दोनों लोगों पर लगता है। मेरे समय में तमिलनाडु से हमने तीन ट्रक भरकर 570 करोड़ रुपए जब्त किया था। वहां एक वोटर को हमारी टीम ने गिरफ्तार किया था। उसने तमिल में बोला- साहब क्यों पकड़ रहे हैं? पांच साल में एक बार आते हैं, ये लोग पैसे देने के लिए। अगर हम ले लेते हैं तो हमें खुशी का मौका मिलता है। लेकिन हम इन्हें वोट नहीं देते। हम उसी को वोट देते हैं जोे हमारे लिए अच्छा होता है। आयोग को वोटर पर भरोसा होना चाहिए। वोटर पर आयोग भी विश्वास करता है। यही 1947 में हुआ था, जब अंग्रेज कह रहे थे कि आप स्वतंत्र देश को बर्बाद कर दोगे, हमारी सेवाएं लेते रहें। लेकिन हमारे नेताओं ने अच्छा फैसला लिया और उनकी सेवाएं लेने से मना कर दिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *