स्थानीय अस्पताल में नहीं है पर्याप्त सुविधाएं, अब तक 10 कर्मचारी हो चुके हैं संक्रमित….
फीवर क्लीनिक अलग नहीं होने से स्टाफ सहित अन्य लोगों पर संक्रमित का खतरा
गंजबासौदा। स्थानीय अस्पताल में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है। लगातार शहर में संक्रमण पांव पसारता चला जा रहा है। यहां तक कि अस्पताल के कर्मचारी भी अब सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि स्थानीय अस्पताल में फीवर क्लीनिक अलग नहीं है। साथ ही स्टाफ के साथ-साथ अब सैंपल देने के लिए जो लोग आ रहे हैं। उनके सहित सामान्य मरीजों पर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। फीवर क्लीनिक अलग न होने के कारण संक्रमित और सामान्य मरीज दोनों आपस में एक दूसरे के करीब आ जाते हैं, जिसके कारण संक्रमण फैल रहा है।
अस्पताल में गत वर्ष की भांति व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं। गत वर्ष की यदि बात की जाए तो फीवर क्लीनिक और सैंपल लेने की व्यवस्था अलग-अलग की गई थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। अस्पताल पहुंचकर सामान्य मरीज भी संक्रमित हो रहे हैं। साथ ही सामान्य मरीजों के साथ ही संक्रमित मरीज भी भर्ती हो जाते हैं, क्योंकि रिपोर्ट तो लगभग तीन से चार दिन में प्राप्त होती है। जब तक रिपोर्ट आती है, तब तक मरीज भर्ती रहता है। इससे कई लोग संपर्क में आ जाते हैं और सैंपल देने के लिए इतनी भीड़ एकत्रित हो रही है कि उसको संभालना भी संभव नहीं हो पा रहा है।
यह कर्मचारी हुए संक्रमित
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक एक डॉक्टर, चार स्टाफ नर्स, एक सहायक ग्रेड 3 कर्मचारी, दो लैब टैक्नीशियन, एक डाटा एंट्री ऑपरेटर और एक बाबू संक्रमित है। इनका उपचार जारी है। कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल के दस कर्मचारी संक्रमित हैं। इस वजह से स्टाफ की भी कमी देखने को मिल रही है। वैसे ही स्टाफ तो कम था ही साथ ही इस महामारी में स्टाफ के संक्रमित हो जाने के कारण अब और भी परेशानियों का सामना मरीजों और अस्पताल प्रबंधन को करना पड़ रहा है। इस कारण व्यवस्थाएं बिगड़ रहीं हैं।
पीपीई किट का नहीं कर रहे कर्मचारी उपयोग
डॉक्टर हों या कर्मचारी हों किसी के भी द्वारा पीपीई किट का उपयोग नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण भी कर्मचारी और डॉक्टर संक्रमित हो रहे हैं। यदि शासन के द्वारा दी गई। पीपीई किट का उपयोग डॉक्टर व कर्मचारी करें तो वह संक्रमित होने से बच सकेंगे। लेकिन पीपीई किट का उपयोग नहीं कर रहे हैं। जिससे लगातार कर्मचारी भी संक्रमित होते चले जा रहे हैं। गौरतलब है कि अस्पताल परिसर में चार द्वार होने के बाद भी फीवर क्लीनिक अलग नहीं चलाई जा रही है। यदि फीवर क्लीनिक अलग चले तो संक्रमण का खतरा कम रहेगा। ऐसे में समझ परे है कि आखिरकार अस्पताल ↑ प्रबंधन पूर्व की भांति फीवर क्लीनिक अलग क्यों नहीं चला रहा है। नियम के अनुसार फीवर क्लीनिक अलग चलनी चाहिए। वहीं बीएमओ डॉ. रविन्द्र चिढ़ार का कहना है कि अस्पताल के दस कर्मचारी संक्रमित हो गए हैं।
गंजबासौदा से ओमप्रकाश चौरसिया की रिपोर्ट