उत्तर प्रदेश के मैनपुरी सीट बेहद खास है। यह वह सीट है जो यादव परिवार का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर आज तक बीजेपी अपनी जीत दर्ज नहीं कर पाई है। 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर थी तब भी इस सीट पर उनका जादू नहीं चला। मैनपुरी से चुनाव लड़े समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव को ही जीत हासिल हुई। मुलायम दो संसदीय सीटों आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव लड़े थे और उन्हें दोनों ही सीटों पर जीत हासिल हुई थी इसलिए मैनपुरी सीट उन्होंने छोड़ दी थी और फिर इस सीट पर तेज प्रताप यादव उपचुनाव जीते थे।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 1971 कांग्रेस को जीत हासिल हुई। 1977 की सत्ता विरोधी लहर में जनता पार्टी ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हरा दिया हालांकि 1978 में यहां उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस की इस सीट पर वापसी हुई। 1980 में कांग्रेस ने मैनपुरी लोकसभा सीट एक बार फिर गवां दी और 1984 में उनके प्रत्याशी को एक बार फिर जीत मिली। यह वह साल था जब कांग्रेस को इस सीट पर आखिरी बार जीत मिली थी। 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव इस सीट से 1996 में चुनाव लड़े और उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। उसके बाद से लगातार हर चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है।
मैनपुरी सीट में वोटों का गणित
2014 के आंकड़े देखें तो मैनपुरी लोकसभा सीट में लगभग 17.3 लाख वोटर हैं। इनमें सबसे ज्यादा वोटर यादव जाति के हैं। आंकड़े के मुताबिक कुल वोटरों में से 35 फीसदी वोटर यादव हैं। वहीं दूसरे नंबर पर यहां राजपूत, चौहान, राठौर, भदौरिया हैं, ये कुल वोटरों का 29 फीसदी हैं। उसके बाद यहां शाक्य, ब्राह्मण, एससी और मुस्लिम वोटर हैं।
पांच विधानसभा सीटें
मैनपुरी संसदीय सीट में पांच विधानसभाएं आती हैं। जिनमें मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल और जसवंतनगर शामिल हैं। आपको बता दें कि जसवंतनगर विधानसभा सीट से मुलायम के भाई शिवपाल सिंह यादव विधायक हैं और उन्होंने एसपी से अलग होने के बाद भी अपने भाई की जीत के लिए उन्हें हर तरह से समर्थन देने का ऐलान किया है। यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में पांच विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट भोगांव में बीजेपी को जीत मिली थी जबकि बाकी की चार सीटों पर एसपी के प्रत्याशी ही जीते थे।
एसपी प्रत्याशी की होती है रेकॉर्ड जीत
2004 के चुनाव में मुलायम सिंह ने रेकॉर्ड जीत दर्ज की थी। उन्हें 4,60,470 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंदी बीएसपी के प्रत्याशी अशोक शाक्य को मात्र 1,22,600 वोट मिले थे। इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें एसपी के धर्मेंद्र यादव को 3,48,999 वोट और उनके प्रतिद्वंदी बीएसपी प्रत्याशी अशोक शाक्य को 1,69,286 वोट मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 5,95,918 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी के प्रत्याशी शत्रुघन सिंह चौहान को मात्र 2,31,252 वोट मिले थे। दोनों के बीच 3,64,666 वोटों का अंतर था। मुलायम के सीट छोड़ने के बाद उपचुनाव में एसपी के प्रत्याशी तेज प्रताप सिंह यादव ने बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को हराया। तेज प्रताप को जहां 6,53,786 वोट मिले वहीं प्रेम सिंह को 3,32,537 वोट मिले। दोनों के बीच 3,21,249 वोटों का अंतर रहा। 2009 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 3,92,308 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे बीएसपी के प्रत्याशी विनय शाक्य को 2,19,239 वोट मिले।
कब किसे इस सीट पर मिली जीत
1952: बादशाह गुप्ता (आईएनसी)
1957: बंशी दास डांगर (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
1962: बादशाह गुप्ता (आईएनसी)
1967: महाराज सिंह (आईएनसी)
1971: महाराज सिंह (आईएनसी)
1977: रघुनाथ सिंह वर्मा (भारती लोक दल)
1980: रघुनाथ सिंह वर्मा (जनता पार्टी सेक्युलर)
1984: चौधरी बलराम सिंह यादव (आईएनसी)
1989: उदय प्रताप सिंह (जनता दल)
1991: उदय प्रताप सिंह (जनता पार्टी)
1996: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
1998: चौधरी बलराम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
1999: चौधरी बलराम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2004: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2004: धर्मेंद्र सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2009: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2014: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2014: तेज प्रताप सिंह यादव (उपचुनाव) (समाजवादी पार्टी