दुनिया के कई देशों में चीन का कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट (बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव) उन देशों के लिए आर्थिक सहयोग कम और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरा ज्यादा है। जिस समय पेइचिंग बेल्ट ऐंड रोड फॉरम का आयोजन कर रहा है, उस समय पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने यह बात कही है।
बीआरआई को वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) भी कहा जाता है। चीन का दावा है कि अरबों डॉलर का यह प्रॉजेक्ट एशिया, अफ्रीका, चीन और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देगा। गुरुवार को पॉम्पियो ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि चीन का यह कदम अमेरिका, इसके मित्र और सहयोगियों के लिए सुरक्षात्मक खतरा है।
नैशनल रिव्यू इंस्टिट्यूट के 2019 आइडिया समिट में लेखक और पत्रकार रिच लॉरी से बात करते हुए पॉम्पियो ने कहा, ‘वे दक्षिण चीन सागर में इसलिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं कि उन्हें नेविगेशन की आजादी चाहिए। दुनिया भर में बंदरगाह बनाने के पीछे उनका उद्देश्य अच्छा शिपबिल्डर बनना नहीं है, बल्कि उसके कई कदम संबंधित देशों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं।’ उन्होंने कहा कि बेल्ट ऐंड रोड पहल (बीआरआई) के साथ भी ऐसा ही है।
दरअसल, भारत ने बीआरआई के ही हिस्से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर चिंता जताई है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर जा रहा है। इस तीन हजार किलोमीटर की परियोजना का मकसद चीन और पाकिस्तान को रेल, सड़क, पाइपलाइन और ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क से जोड़ना है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया इस खतरे को लेकर जागरुक हो रही है। पोम्पिओ ने कहा, ‘मुझे लगता है कि विशेष रूप से एशिया तथा दक्षिण पूर्वी एशिया इस खतरे को लेकर जागरुक हो रहा है और मुझे आशा है कि विदेश मंत्रालय यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है कि चीन का इन गतिविधियों में शामिल होना और अधिक कठिन हो जाए।’
- पॉम्पियो ने कहा कि चीन दुनिया भर में बंदरगाहों का निर्माण इसलिए नहीं कर रहा है कि वह अच्छा शिपबिल्डर बनना चाहता है, बल्कि इससे उन सभी देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा खतरा है
- उन्होंने कहा कि चीन का यह कदम अमेरिका, उसके मित्र देशों और सहयोगियों के लिए बड़ा खतरा है
- बीआरआई के हिस्से चीन-पाक अर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर भारत भी विरोध जता चुका है