उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा के बाद ये गठबंधन प्रदेश की राजनीति की चर्चा का मुख्य विषय बन गया है लेकिन इस चर्चा के दौरान एक ख़ास युवक ने सबका ध्यान खींचा है, और वो युवक हैं बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश.
पिछले कुछ दिनों से मायावती के साथ और उन्हीं के आस-पास आकाश मायावती की छाया की तरह दिखाई पड़ते हैं.
मौक़ा चाहे सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा के वक़्त प्रेस वार्ता का हो, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव से मायावती की मुलाक़ात का हो, किसी सार्वजनिक रैली या सभा का हो या फिर मंगलवार को मायावती के जन्म दिन का, आकाश हर जगह उनके साथ खड़े मिलते हैं.
कौन हैं आकाश?
आकाश मायावती के भाई आनंद के बेटे हैं और बताया जा रहा है कि इस वक़्त वो हर समय उनके साथ रहकर राजनीति की बारीकियां सीख रहे हैं.
हालांकि उन्होंने लंदन से मैनेजमेंट में पढ़ाई की है लेकिन जानकारों के मुताबिक़, मायावती जिस तरह से उन्हें हर वक़्त अपने साथ रखती हैं, उससे इसमें संदेह नहीं होना चाहिए कि वो अपने भतीजे को राजनीति में जल्द ही उतारना चाहती हैं.
बहुजन समाज पार्टी के नेता आकाश के बारे में कुछ भी बताने से साफ़ इनकार कर देते हैं लेकिन नाम न बताने की शर्त पर एक बड़े नेता ने इतना ज़रूर कहा, “फिलहाल बहनजी भतीजे आकाश को बसपा में युवा नेता के तौर पर स्थापित करने में लगी हैं और उसे पार्टी की अहम ज़िम्मेदारी देने की तैयारी कर रही हैं. लेकिन अभी वो सिर्फ़ उनके साथ दिखते भर हैं, राजनीतिक फ़ैसले बहनजी ख़ुद ही लेती हैं.”
हालांकि बसपा में कोई युवा फ्रंटल संगठन नहीं है, बावजूद इसके पार्टी में और चुनावों में युवाओं की भागीदारी बढ़-चढ़कर देखी जाती है.
जानकारों के मुताबिक, बीएसपी में युवा संगठन की ज़रूरत सभी नेता महसूस करते हैं लेकिन इस बारे में कोई खुलकर नहीं बोलता.
युवाओं को जोड़ने की चाहत
यही नहीं, पिछले कुछ चुनावों में बीएसपी की हार के पीछे युवाओं का पार्टी से न जुड़ना भी बताया जा रहा है जबकि उसी दौरान सहारनपुर में भीम आर्मी जैसे युवाओं के आकर्षित करने वाले संगठन तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं और बीएसपी के लिए कब चुनौती बन जाएं, कहा नहीं जा सकता.
वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं, “आकाश को आगे करने के पीछे मायावती की दलित युवाओं को पार्टी की ओर लुभाने की भी हो सकती है. ऐसा करके वो दलित युवाओं के बीच उभरने वाले अन्य संगठनों की धार को कुंद करने की कोशिश करेंगी.”
कुछ दिन पहले पार्टी पदाधिकारियों की एक बैठक में मायावती ने प्रदेश भर से आए नेताओं का परिचय आकाश से कराया था.
उस वक़्त मायावती ने अपनी पार्टी के लोगों को आकाश के बारे में यही बताया था कि वो उनके भाई आनंद का बेटा है और लंदन से एमबीए करके लौटा है.
उस वक़्त मायावती ने ये भी कहा था कि आकाश आगे से पार्टी का काम देखेगा, लेकिन अभी तक पार्टी में उन्हें आधिकारिक रूप से कोई ज़िम्मेदारी नहीं दी गई है.
पहली बार कब सामने आए आकाश?
सार्वजनिक रूप से आकाश को लोगों ने सहारनपुर में शब्बीरपुर हिंसा के दौरान देखा था.
सहारनपुर के वरिष्ठ पत्रकार रियाज़ हाशमी बताते हैं, “उस वक़्त जब मायावती शब्बीरपुर आई थीं तो आकाश उनके साथ था. तब तक लोगों को उसके बारे में पता नहीं था लेकिन उस समय ये बात स्पष्ट हो गई कि ये बहनजी का भतीजा है. आकाश मायावती के साथ ही था, हर तरफ़ जिज्ञासा की दृष्टि से देख रहा था, वो बहनजी के तौर-तरीकों, को काफ़ी गंभीरता से देख रहा था.”
रियाज़ हाशमी बताते हैं कि उसी समय ये तय हो गया था कि लंदन से पढ़ा-लिखा आकाश अब बहनजी की राजनीति में भी मदद करेगा और फिर बाद में मायावती ने पार्टी नेताओं को सीधे तौर पर ये बात बता भी दी थी.
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं कि पार्टी के युवाओं, ख़ासकर पढ़े-लिखे और उच्च शिक्षित वर्ग को लुभाने के लिए मायावती और उनकी पार्टी आकाश का बेहतर इस्तेमाल कर सकती हैं.
उनके मुताबिक़, “मायावती आकाश को भी पार्टी का कुछ वैसा चेहरा आगे चलकर प्रोजेक्ट कर सकती हैं, जैसा कि सपा में अखिलेश यादव हैं. हालांकि आकाश को अभी कोई बड़ी ज़िम्मेदारी मायावती नहीं देने वाली हैं, पर आगे चलकर तो ऐसा करेंगी ही.”
हालांकि मायावती पहले राजनीति में परिवारवाद के ख़िलाफ़ थीं और भाई आनंद के अलावा उनके किसी रिश्तेदार या परिवार के किसी अन्य सदस्य की कभी बीएसपी में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कोई दख़ल भी देखने को नहीं मिला है. लेकिन भाई आनंद के प्रति उनका लगाव शुरू से रहा.
बीएसपी के एक नेता बताते हैं, “आनंद को बहनजी ने पार्टी में उपाध्यक्ष जैसा अहम पद भले दिया था लेकिन ये भी कह रखा था कि वो कभी विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनेगा. इससे साफ़ है कि परिवारवाद का बहनजी न सिर्फ़ विरोध करती हैं बल्कि ख़ुद पर भी लागू करती हैं.”
हालांकि आनंद इस वक़्त बीएसपी के संगठन में भी किसी पद पर नहीं हैं लेकिन उनके बेटे आकाश जिस तरह से मायावती के साथ पार्टी की बैठकों, मुलाक़ातों इत्यादि में सक्रिय हैं, उसे देखते हुए राजनीतिक गलियारों में उन्हें मायावती के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाने लगा है.