कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘न्यूनतम आय योजना’ (न्याय) के अपने वादे से बीजेपी के पस्त होने का दावा करते हुए गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर अर्थव्यवस्था में फिर से नई जान फूंकेगी (रिमोनटाइज), जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने बेहाल (डिमोनटाइज) कर दिया है। गांधी ने 11 अप्रैल से शुरू होने जा रहे 17वें लोकसभा चुनाव से पहले एक इंटरव्यू में कहा कि ‘न्याय’ योजना का एक मकसद देश के 20 प्रतिशत सबसे गरीब लोगों को साल में 72 हजार रुपये देना है और दूसरा मकसद बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है।
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने पिछले पांच साल में नोटबंदी जैसी विफल नीतियों और गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) के खराब क्रियान्वयन से अर्थव्यवस्था को बदहाल कर दिया। असंगठित क्षेत्र इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है।’ राहुल गांधी ने कहा, ‘न्याय के दो मकसद हैं। पहला, समाज में सबसे निचले स्तर के 20 प्रतिशत परिवारों को न्यूनतम आय की गारंटी देना है। दूसरा, अर्थव्यवस्था को दुरूस्त (रिमोनटाइज) करना है जिसे मोदी जी ने बेहाल (डिमोनटाइज) कर दिया है।’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘इस योजना का नाम ‘न्याय’ रखे जाने का एक कारण है। हमने इसका नाम ‘न्याय’ क्यों चुना? क्योंकि नरेंद्र मोदी ने पांच वर्षों में गरीबों से सिर्फ और सिर्फ छीना, उन्हें कुछ नहीं दिया।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने किसानों से छीन लिया, छोटे और मंझोले कारोबारियों से छीन लिया, बेरोजगार युवकों से भी छीना है, माताओं और बहनों की बचत तक छीन ली। हम देश के वंचित तबके को वह लौटाना चाहते हैं जो मोदी जी ने उनसे छीना है।’
‘न्याय’ को परिवर्तनकारी और गरीबी पर आखिरी प्रहार करार देते हुए गांधी ने कहा कि यह योजना वित्तीय रूप से पूरी तरह क्रियान्वयन करने योग्य है और इसका नोटबंदी तथा जीएसटी की तरह जल्दबाजी में क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा।
इस योजना से राजकोषीय घाटे की स्थिति खराब होने से जुड़ी कुछ अर्थशास्त्रियों की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, ‘नहीं, यह सही नहीं है।’ उन्होंने कहा कि पार्टी ने बड़ी संख्या में अर्थशास्त्रियों एवं विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया, कई कागजातों तथा इस विषय से जुड़ी शोध सामाग्रियों का अध्ययन किया गया तथा इसके क्रियान्वयन की संभावना पर पूरा मंथन करने के बाद इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने का फैसला हुआ।
यह पूछे जाने पर कि ‘न्याय’ का वादा भी लोकलुभावन है तो गांधी ने कहा, ‘यह लोकलुभावन कदम नहीं है जैसा कि कुछ आलोचक बताने की कोाशिश कर रहे हैं।’ राहुल ने कहा, ‘अब पीएम मोदी द्वारा सिर्फ 15 बड़े उद्योगपतियों को 3.5 लाख करोड़ रुपये देना लोकलुभावन स्कीम नहीं है तो जो योजना गरीबों को फायदा पहुंचा सकती है, वह कैसे लोकलुभावन हो सकती है।’ उन्होंने कहा, ‘क्या सरकार की योजनाओं का लाभ पीएम मोदी के कुछ खास दोस्तों को मिलेगा? मैं न्याय की बात कर रहा हूं। देश के गरीब लोगों के लिए न्याय, इसमें लोकलुभावन जैसा कुछ भी नहीं है।’
जब राहुल गांधी से इस स्कीम को लेकर समय सीमा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि न्याय योजना को किसी पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा, ताकि इसमें आ रही कमियों के बारे में पता चल सके।
राहुल ने कहा, ‘हम इसे जीएसटी की तरह नहीं करेंगे। हम सबसे पहले इसे पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर शुरू करेंगे, ताकि इसकी कमियों के बारे में पता चल सके। उसके बाद इसे देश भर में लागू किया जाएगा। इसका फायदा किस परिवार को मिलेगा, इसका पता लगाने के लिए भी मजबूत रास्ता निकाला जाएगा, ताकि कोई हकदार परिवार न छूट जाए।’
जब राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या पायलट प्रॉजेक्ट कांग्रेस शासित राज्य में ही लागू किया जाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि इसका फैसला विशेषज्ञ करेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि देश की करीब 20 से 22 प्रतिशत जनता अब भी गरीबी में रहती है। पीएम मोदी के नोटबंदी और गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) ने कई लोगों को गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया है। राहुल गांधी ने कहा कि हमारा एकमात्र उद्देश्य देश से गरीबी को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि न्याय योजना गरीबी पर अंतिम प्रहार होगा।