नई दिल्ली। कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार की वार्ता भी बेनतीजा रही। किसान संगठनों के अड़ियल रुख के चलते कोई हल नहीं निकल पाया। सातवें दौर की इस वार्ता में किसान नेता कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े रहे। वे इससे कम अथवा और किसी तौर-तरीके को मानने को राजी नहीं। हालांकि दोनों पक्ष फिर वार्ता के लिए राजी हो गए हैं। आठ जनवरी को विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे के बाद आठवें दौर की वार्ता होगी।
सोमवार की वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार और किसान नेताओं के बीच किसी समाधान पर पहुंचने की उत्सुकता है ताकि आंदोलन खत्म हो सके। आंदोलन खत्म करने के लिए सब सकारात्मक हल चाहते हैं। हालांकि सोमवार को वार्ता शुरू होने से पहले की रोड़ा अटकाने वाले तत्वों का असर दिख रहा था। जहां सरकार कानून सम्मत प्रावधानों पर एक-कर चर्चा करना चाह रही थी, वहीं किसान संगठनों ने इससे साफ मना कर दिया। बाधा पैदा करने वालों ने बातचीत समाप्त होने से पहले ही विज्ञान भवन से बाहर लिखित बयान जारी कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।
वार्ता में रोड़े अटकाने वालों ने किसान संगठनों को जमकर भड़काया
30 दिसंबर को हुई वार्ता से सकारात्मक संकेत मिले थे। उस दौरान किसान संगठनों की दो प्रमुख मांगों पर सहमति बनी थी। लेकिन वार्ता में रोड़े अटकाने वालों ने सोमवार की वार्ता से पहले ही किसान संगठनों को जमकर भड़काया और आंदोलन को तेज करने की रणनीति की घोषणा कर डाली। इसके बाद से ही वार्ता के पटरी से उतरने की आशंका बढ़ गई थी। किसान नेताओं ने कहा कि उनकी मांगें माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। पहले से घोषित रणनीति पर आगे बढ़ेंगे। किसान नेता किसी भी तरह पीछे नहीं हटेंगे।
कुछ बढ़े, कुछ अड़े
वार्ता को लेकर कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि पिछली बार से बात आगे बढ़ी है। थोड़ी बहुत एमएसपी पर भी चर्चा हुई। लेकिन हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। अगली वार्ता में दोनों पक्षों को अपनी-अपनी तैयारियों के साथ हिस्सा लेने को कहा गया है। नए कृषि कानूनों को रद करने और एमएसपी की लीगल गारंटी के दो सबसे विवादित मुद्दों पर सातवें दौर की वार्ता में चर्चा होनी थी। लेकिन वार्ता के पहले मुद्दे पर ही चर्चा शुरू हुई और बिना किसी ठोस बातचीत के समाप्त हो गई।
अन्य राज्यों के किसानों से भी होगी चर्चा
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने कानून बनाते समय देश के किसानों के समग्र हितों को ध्यान में रखा है। चर्चा के विभिन्न कानूनी पहलुओं और करोड़ों किसानों के हितों का ध्यान रखने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसलिए पूरे देश को ध्यान में रखकर कोई निर्णय किया जाएगा। तोमर ने कहा, ‘किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि सुधार कानूनों से संबंधित मुद्दों पर अन्य राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी बात की जाएगी। कानूनों के एतराज वाले प्रावधानों पर बिंदुवार चर्चा करके यथासंभव संशोधन करने के लिए राजी हैं।’ वार्ता के दौरान देश के अन्य किसान संगठनों से बातचीत का सरकार का प्रस्ताव आंदोलनकारी किसान नेताओं को रास नहीं आया है।