कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम आय योजना (न्याय) पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर और दिग्गज अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में संकट और गरीबी के कारण अर्थव्यवस्था दबाव में है, ऐसे में इस तरह की योजना के लिए राजकोषीय गुंजाइश बनाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इस योजना को लेकर उनसे परामर्श किया है।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को देश के 20 फीसदी गरीबों को 72 हजार रुपये की सालाना न्यूनतम आय का वादा किया। इस योजना पर 3.6 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी, जो भारत के राजकोषीय घाटे का तीन गुना, रक्षा बजट का छह गुना और कॉरपोरेट टैक्स से होने वाली आय का दोगुना है।
अन्य अर्थशास्त्रियों व नीति नियंताओं ने कांग्रेस की इस योजना की व्यवहार्यता पर सवाल खडे़ किए हैं, जबकि रघुराम राजन का कहना है कि इस योजना के लिए राजकोषीय गुंजाइश बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘उन योजनाओं के लिए गुंजाइश बनाने की जरूरत है, जो वास्तव में असरदार हैं।’
राजन ने यह भी कहा कि इस योजना को लेकर कांग्रेस द्वारा उनसे परामर्श लेने को राजनीतिक चश्मे से देखने का कोई औचित्य नहीं बनता है।उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) पिछली दोनों सरकारों के बीच एक कॉमन थीम रही है। यह एक गरीबी मिटाने वाली योजना है और गरीबी मिटाने को लेकर दोनों ही सरकारें सहमत हैं।
पूर्व गवर्नर ने कहा कि इस योजना के लिए यह जरूरी है कि यह लोगों को निठल्ला नहीं करे। उन्होंने कहा कि इस योजना की बुनियाद में गरीब को फायदा पहुंचाना और उन्हें बेहतर जीविकोपार्जन के लिए सक्षम करना है।