कोरोना की वैक्सीन बनाने की दौड़ में रूस सबको पीछे छोड़ दे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कैसे काम करेगी यह रूसी वैक्सीन…
लंबे समय से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन अमेरिका और रूस में से कोई लॉन्च कर सकता है। लेकिन फिलहाल तो इस रेस में में रूस बाजी मारता दिख रहा है, हालांकि जब तक वैक्सीन मार्केट में ना आ जाए तब तक कुछ भी निश्चित तौर पर कहना मुश्किल है। हालांकि रूस मे स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ कोरोना वैक्सीन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गई हैं।
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस सप्ताह में कोरोना वायरस की वैक्सीन को रजिस्टर करा लिया जाएगा। उम्मीद है कि यह काम 12 अगस्त को पूरा हो जाए। यदि ऐसा नहीं है तो निश्चित तौर पर इस सप्ताह में यहा काम पूरा हो जाएगा। वैक्सीन के लॉन्च से जुड़ी फाइनल रणनीति लैब रिसर्च टीम और सायंटिस्ट्स द्वारा तय की जाएगी। इसी के आधार पर वैक्सीन के मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ा काम पूरा किया जाएगा। यह कोरोना वैक्सीन लोगों को इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए इम्युनिटी प्रदान करेगी।
रूस की यह वैक्सीन मॉस्को स्थित जिस इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की जा रही है, उसका नाम गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट है। इस संस्थान के डायरेक्टर अलेक्जेंडर गेन्सबर्ग का कहना है कि वैक्सीन में एडेनोवायरस के आधार पर बनाए गए निर्जीव कणों का उपयोग किया है। वैक्सीन के बारे में आगे बात करते हुए वे कहते हैं कि जो पार्टिकल्स और ऑब्जेक्ट्स खुद अपनी कॉपीज बना लेने की क्षमता रखते हैं, ऐसे पार्टिकल्स को जीवित माना जाता है। लेकिन वैक्सीन में जिन पार्टिकल्स का उपयोग किया गया है, वे अपनी कॉपीज बनाने में सक्षम नहीं है।
कैसे काम करेगी वैक्सीन?
-दुनिया में जितनी भी कोरोना वैक्सीन बन रही हैं, वे अलग-अलग तरह के गुणों से युक्त हो सकती हैं। इन सभी वैक्सीन का शरीर पर असर भी अलग-अलग हो सकता है। क्योंकि हर देश द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन, आज के वक्त में उन लक्षणों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है, जो कोरोना संक्रमण होने के बाद उनके अपने देश के लोगों में दिखाई दे रहे हैं।
-आपको ध्यान दिला दें कि कोरोना के लक्षण सभी लोगों में एक जैसे नहीं दिखाई दे रहे हैं। इस तरह की भिन्नता का कारण मुख्य रूप से भौगोलिक परिस्थितियों को माना जा रहा है। हालांकि आनेवाले समय में इस बात से पर्दा उठाने में अधिक सहायता मिलेगी। रूस द्वारा जिस वैक्सीन के बारे में दावा किया जा रहा है, उसके बारे में गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अलेक्जेंडर गेन्सबर्ग कहते हैं कि यह वैक्सीन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करेगी।
-यानी इस वैक्सीन के लगने के बाद यदि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस की चपेट में आता है तो कोरोना वायरस उस व्यक्ति के इम्यून सिस्टम द्वारा खत्म किया जा सकेगा। इससे वायरस के कारण होनेवाले अन्य शारीरिक नुकसानों से बचा जा सकेगा।
क्या कोई साइडइफेक्ट्स हैं?
-इस वैक्सीन के लगने के बाद व्यक्ति का शरीर किस तरह से रिस्पॉन्स करेगा? इस विषय पर बोलते हुए अलेक्जेंडर गेन्सबर्ग बताते हैं कि आमतौर पर वैक्सीनेशन के बाद व्यक्ति को हल्का बुखार, थकान या कुछ वक्त के लिए शरीर में टूटन का अहसास होता है। इस वैक्सीन के लगने के बाद हमारे इम्यून सिस्टम को काफी तेजी मिलेगी। इस तरह की डोज से प्राकृतिक रूप से हल्का बुखार हो सकता है।
-यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इसलिए इस तरह के बुखार से परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि आप इस स्थिति में पैरासिटामॉल ले सकते हैं। ताकि बुखार को जल्दी दूर किया जा सके। आपको बता दें कि इस वैक्सीन को पब्लिक करने से पहले वैक्सीन को बनानेवाली रिसर्च टीम के सभी मेंबर्स ने खुद को टीका लगाया है। इसके बाद ही इसके प्रोडक्शन से जुड़ा काम आगे बढ़ा है।
-आपको याद दिला दें कि अपनी पिछली खबर में हमें आपको बताया था कि रूस में सबसे पहले फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन का टीका दिया जाएगा। क्योंकि ये लोग लगातार संक्रमण के डर के बीच दूसरे लोगों की जान बचाने में लगे हुए हैं। साथ ही इम्यून होने के बाद ये अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाने का काम तेज गति से कर पाएंगे।