मशहूर डायरेक्टर बासु चटर्जी का 90 वर्ष की उम्र में निधन

Uncategorized देश मनोरंजन

नहीं रहे बासु दा / छोटी सी बात, रजनीगंधा और चितचोर जैसी फिल्मों के मशहूर डायरेक्टर बासु चटर्जी का 90 वर्ष की उम्र में निधन

मुम्बई।फिल्म इंडस्ट्री एक झटके से उबर नहीं पाती कि उसे दूसरा झटका लग जाता है। बुधवार को वरिष्ठ गीतकार अनवर सागर के निधन के बाद गुरुवार सुबह गुदगुदाती रोमांटिक फिल्मों के भगवान कहे जाने वाले बासु चटर्जी नहीं रहे। इंडस्ट्री में उनकी पहचान बासु दा के रूप में थी।
अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि उनका निधन पहले से किसी बीमारी से हुआ या कोरोना संक्रमण के कारण। बासु दा का अंतिम संस्कार गुरुवार दोपहर मुम्बई सांताक्रूज श्मशान घाट में हुआ।
बासु चटर्जी को छोटी सी बात, रजनीगंधा, बातों बातों में, एक रुका हुआ फैसला और चमेली की शादी जैसी फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता है। फिल्मों में बासु चटर्जी के योगदान के लिए 7 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड और दुर्गा के लिए 1992 में नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला था। 2007 में उन्हें आईफा ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा था। 1969 से लेकर 2011 तक बासु दा फिल्मों के निर्देशन में सक्रिय रहे।
अजमेर में जन्में, मथुरा में पले
30 जनवरी 1930 बासु दा का जन्म तो राजस्थान के अजमेर में हुआ था, लेकिन उन्होंने होश मथुरा में संभाला था। यहीं पर उन्होंने इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की। पिता रेलवे में थे, इसलिए उनका ट्रांसफर होता रहता था। बासु दा के परिवार में चार भाई और दो बहनें थीं।
भाई ने फिल्मों का शौक जगाया
फिल्मों का शौक उन्हें उनके बड़े भाई की वजह से मिला। वे करीब सात साल की उम्र से उनके साथ फिल्में देखने जाते थे। उनका कहना था कि उन दिनों मथुरा में एक ही थिएटर था और उसमें जितनी भी फिल्में लगती थीं, मैं सब देखता था। पढ़ने में वे ठीकठाक ही थे, लेकिन उनकी दिलचस्पी ज्यादा खेलने और फिल्में देखने में थी। बासु दा के मुताबिक माता-पिता ने पढ़ाई को लेकर हम पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला।
मुंबई आने के बाद निर्देशन में रुचि आई
बासु दा के मुताबिक निर्देशन में उनकी रुचि शुरू से नहीं थी, शुरू में तो वे भी आम लोगों की तरह फिल्में देखते थे। उन्होंने बताया कि निर्देशन में उनकी रुचि काफी वक्त बाद यानी मुंबई में आने के बाद हुई। यहां पर आकर वे ‘फिल्म सोसायटी मूवमेंट’ के साथ जुड़े, जहां दुनिया की अलग-अलग भाषाओं की अच्छी-अच्छी फिल्में दिखाई जाती हैं। यहां उन्हें हॉलीवुड के अलावा फ्रेंच, जर्मन, इटैलियन, जापानी और अन्य भाषाओं की फिल्में देखने का मौका मिला। जिसके बाद उनका रुझान फिल्में बनाने की ओर आया।
फैमिली फिल्मों के फिल्मकार
वे पहले ऐसे फिल्मकार थे जिन्होंने कोलकाता की छाप से अलग, अपनी एक अलग ही शैली पैदा की। चाहें वो ‘चमेली की शादी’ हो या ‘खट्टा मीठा’। मिडिल क्लास फैमिली की गुदगुदाती और हल्के से छू जाने वाली रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों ने बासु दा को सबसे अलग मुकाम हासिल कराया।
ब्योमकेश बख्शी और रजनी उन्हीं की देन
फिल्मों के अलावा बासु दा ने ब्योमकेश बख्शी और रजनी जैसे टीवी शोज का भी डायरेक्शन किया था। चटर्जी के परिवार से उनकी बेटी रूपाली गुहा भी फिल्मों का डायरेक्शन कर रही हैं। फिलहाल रूपाली टीवी शो प्रोड्यूस कर रही हैं। पिछले दिनों ही बासु चटर्जी की फिल्मों में गीत लिखने वाले योगेश आनंद का भी निधन हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *