हिंदू धर्म में पति की दीर्घायु के लिए पत्नियां बहुत से व्रत रखती हैं, इन्हीं में से एक है वट सावित्री व्रत। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों तरफ पूजा करती हैं और परिक्रमा करती हैं। इस बार यह तिथि 22 मई को यानी आज है और इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जा रही है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।वट सावित्री के व्रत में पुराने समय ये बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। इससे भी एक पौराणिक कथा जुड़ी है। बताया जाता है कि वट के वृक्ष ने ही अपनी जटाओं में सावित्री के पति सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था ताकि कोई उसे नुकसान न पहुंचा सके। इसलिए वट सावित्री के व्रत में काफी समय से बरगद के पेड़ की पूजा होती आ रही है। ज्योतिषियों के अनुसार, वट के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है, इसलिए इसकी पूजा करने से पति की दीर्घायु के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
बट सावित्री की पूजा विधि :महिलाएं इस दिन स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और व्रत करने का संकल्प लें। फिर नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार करें। इसके बाद पूजन की सारी सामग्री को एक टोकरी, प्लेट या डलिया में सही से रख लें। फिर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे सफाई करने के बाद वहां सभी सामग्री रखने के बाद स्थाग ग्रहण करें। इसके बाद सबसे पहले सत्यवान और सावित्री की मूर्ति को वहां स्थापित करें। फिर अन्य सामग्री जैसे धूप, दीप, रोली, भिगोए चने, सिंदूर आदि से पूजन करें। इसके बाद धागे को पेड़ में लपेटते हुए जितना संभव हो सके 5, 11, 21, 51 या फिर 108 बार बदगद के पेड़ की परिक्रमा करें।