विश्व भर में आज के दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। पहली बार महिला दिवस 8 मार्च 1909 में मनाया गया था। लिहाज़ा इस बार 109वां महिला दिवस मनाया जा रहा है। यानी 109 सालों से महिलाओं के अधिकारों और उनके हक को लेकर आवाज उठाई जा रही है और आज भी यह सिलसिला जारी है।
वहीं इस दिन तमाम कार्यक्रमों का सरकारी दफ्तरों या प्राइवेट ऑफिस में आयोजन किया जाता है। यही नहीं कई दफ्तरों में तो महिला कर्मचारियों को इस दिन खास तोहफे भी दिए जाते हैं और उनको सम्मानित करते हैं। हमारे भारत देश में कुछ ऐसी महिलायें है जिन्होंने अपने साहस और बल से लोगों का दिल जीता है।
क्यों मनाया जाता है महिला दिवस
महिला दिवस मनाने की शुरुआत 1909 में हुई। इस दिन 15 हज़ार महिलाओं ने नौकरी के अवधि को कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर न्यूयार्क शहर में प्रदर्शन किया था। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया। 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं का एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया गया और धीरे धीरे यह दिन दुनिया भर में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में महशूर होने लगा।
इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जानते हैं बुलंद हौसलों के पीछे का सच
डॉ. सीमा राव भारत की पहली और इकलौती महिला कमांडो ट्रेनर हैं। इन्हें देश की ‘सुपर वुमेन’ भी कहा जाता है। 49 साल की उम्र में उन्होंने अपने जीवन के 20 साल बिना किसी सरकारी मदद के मुफ्त में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी समेत पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडोस को ट्रेनिंग दिया है। उनका नाम उन पांच चुनिंदा महिलाओं में आता है, जिन्हें ‘जीत कुन डो’ मार्शल आर्ट आता है। इसे ब्रूस ली ने इजात किया था।
कविता बिष्ट
कविता बिष्ट एक एसिड अटैक पीड़िता है। बुलंद हौसलों वाली ये ऐसी महिला है जिन्होंने अपनी कमजोरी को अपने हौसलों पर हावी होने नहीं दिया। 25 साल की कविता बिष्ट वुमेन एंड चाइल्ड डेवेलपमेंट डिपार्टमेंट की ब्रांड एंबेसडर हैं। बता दें कि 2008 में कविता पर दो बाइक सवारों ने एसिड फेंका था। जिसके बाद उन्होंने अपने आप उस सदमे से उभार कर ज़िंदगी में आगे बढ़ने का फैसला लिया।
अवनि चतुर्वेदी
इंडियन एयर फोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर अवनि चतुर्वेदी ने अकेले मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान उड़ाकर इतिहास रचा। अवनि ने 19 फरवरी कि सुबह गुजरात से जामनगर एयरबेस से उड़ान भरकर अपना मिशन पूरा किया। अकेले लड़ाकू विमान उड़ाने वाली वह भारत की पहली महिला बन गई हैं।
लक्ष्मी अग्रवाल
लक्ष्मी अग्रवाल एसिड अटैक पीड़िता हैं और एक टीवी होस्ट भी जो कि अपनी ही तरह दूसरी पीड़ित महिलाओं के बेहतर भविष्य के लिए कदम बढ़ाया है और उनको जीने की वजह दे गई। ये एसिड हमला लक्ष्मी पर तब हुआ जब वे सिर्फ 15 साल की थी। आज वो एक संस्थान से जुड़कर एसिड की शिकार महिलाओं कि मदद कर रहीं हैं। उनकी इसी पहल की वजह से अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने इंटरनेशनल वुमेन प्राइज़ से सम्मानित किया।
अंबिका सुधाकरन
इंडियन आर्मी की लेफ्टिनेंट ऑफिसर अंबिका सुधाकरन को इंडियन आर्मी के दल का नेतृत्व करेंगी। 26 जनवरी को लाल किला से राजभवन तक की परेड में भी लेफ्टिनेंट सुधाकरन ने दल का नेतृत्व किया था। महिलाओं के लिए उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि आप अपने लक्ष्य का पीछा करिए। कभी किसी चुनौती से डरिए मत और उसका डट कर सामना कीजिए। यही नहीं अपने आत्मविश्वास रखिए इससे आप कोई भी बड़ी से बड़ी मुश्किलों का सामना कर पाएंगी। सेना में शामिल होने के निर्णय को लेकर उन्होंने कहा कि यह मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा निर्णय है।