अनिल की कंपनी दिवालिया होने के करीब,2006 में अनिल अंबानी ,भाई मुकेश से ज्यादा अमीर थे

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उद्योगपति स्व. धीरूभाई हीराचंद अंबानी ने टेक्सटाइल से लेकर ऑयल रिफाइनरी उद्योग की स्थापना कर इतिहास रच दिया। उनके निधन के बाद वर्ष 2005 में उनके दोनों बेटों ने अपने पराक्रम से 1 लाख करोड़ के औद्योगिक साम्राज्य को दो हिस्सों में बांटने का निर्णय लिया। उस दौरान किसी ने यह कल्पना नहीं की थी कि मुकेश अंबानी का औद्योगिक साम्राज्य डेढ़ दशक में सोलह गुना बढ़ जाएगी और अनिल अंबानी दिवालिया हो जाएंगे।

दोनों भाईयों की संपत्ति में अब 7.97 लाख करोड़ रु का अंतर

वर्ष 2005 में रिलायंस के बंटवारे के बाद अनिल और मुकेश की संपत्ति लगभग बराबर थी, पर अब दोनों की संपत्ति में 7.97 लाख करोड़ रुपए का अंतर है। दूसरी ओर बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी की वेल्थ लगातार बढ़ती रही है और उनकी गिनती दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में हो रही है।

2006 में अनिल की संपत्ति मुकेश से 550 करोड़ ज्यादा थी

2005 में एक लाख करोड़ रुपए के औद्योगिक साम्राज्य का दो हिस्सों में बंटवारा होने के दूसरे साल यानी 2006 में अनिल अंबानी, लक्ष्मी मित्तल और अजीम प्रेमजी के बाद देश के तीसरे बड़े अमीर थे। बड़े भाई मुकेश अंबानी से अनिल की संपत्ति 550 करोड़ रुपए ज्यादा थी।

अनिल की कंपनी दिवालिया होने की कगार पर

हाल ही में अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने दिवालिया घोषित करने के लिए एक अर्जी दी है। इसके बाद उसके शेयर के भाव ऑलटाइल हाई 844 रुपए से गिरकर 5.19 रुपए के सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। एडीएजी की इस गिरावट से रिलायंस कम्युनिकेशंस के निवेशकों ने 1.60 लाख करोड़ रुपए की पूंजी खो दी है। अंबानी परिवार को बिजनेस का पर्याय माना जाता है।ये है धीरूभाई अंबानी के दोनों बेटों के उठने-गिरने की कहानी…

कंपनी की स्थापना और दोनों बेटे 
धीरूभाई अंबानी ने 15 हजार रुपए की मामूली पूंजी से टेक्सटाइल कंपनी स्थापित की थी। कंपनी की स्थापना से एक साल पहले 1957 में मुकेश का जन्म हुआ था। कंपनी स्थापित करने के दूसरे साल अनिल का जन्म हुआ। पातालगंगा पेट्रोकेमिकल प्लांट लगाने के लिए मुकेश अंबानी स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई छोड़कर 1981 में पिता के साथ जुड़ गए थे। उस समय उनकी उम्र 24 साल थी। जबकि अमेरिका से एमबीए की पढ़ाई करने वाले अनिल अंबानी 1983 में कॉ-चीफ ऑफिसर के रूप में रिलायंस से जुड़े। उस समय अनिल की उम्र 24 साल थी।  

रिलायंस में मुकेश-अनिल का सफर
रिलायंस में जुड़ने के बाद मुकेश अंबानी ने रसिकभाई मेस्वामी के साथ काम शुरू किया था। रसिकभाई रिलायंस समूह के सह-संस्थापक और उस समय एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। मुकेश अंबानी रोजाना रसिकभाई को रिपोर्ट देते थे और उनके आदेशानुसार ही काम करते थे। 1985 में रसिकभाई के निधन के एक साल बाद सन् 1986 में धीरूभाई को पहला आर्ट अटैक आया था।  इसके बाद रिलायंस की पूरी जिम्मेदारी मुकेश और अनिल पर आ गई। फिर मुकेश ने रिलायंस इन्फोकॉम लिमिटेड (बाद में रिलायंस कम्युनिकेशन) की स्थापना की थी।    
धीरूभाई का निधन और विवाद 
6 जुलाई 2002 को हार्ट अटैक से धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया। यह घटना केवल अंबानी परिवार ही नहीं बल्कि रिलायंस ग्रुप के लिए भी बड़ा झटका था। क्योंकि धीरूभाई ने बिजनेस के बंटवारे के लिए कोई वसीयत नहीं लिखी थी। धीरूभाई के निधन के बाद कामकाज को लेकर मुकेश और अनिल के बीच विवाद बढ़ने लगा। रिलायंस के कंट्रोल के लिए दोनों भाई आमने-सामने आ गए। रिलायंस के एक एन्युअल रिपोर्ट के कवर में धीरूभाई और मुकेश की फोटो थी। इसमें अनिल की फोटो नहीं थी। वर्ष 2005 में यह पूरा मामला सामने आया। बात बिगड़ने पर मुकेश अंबानी ने रिलायंस के सभी कर्मचारियों को ई-मेल किया। जिसमें लिखा था कि धीरूभाई की विरासत को लेकर कोई भ्रम नहीं है। आरआईएल से जुड़े सभी मामलों में मुकेश अंबानी एकमात्र अथॉरिटी हैं।
व्यक्तित्व, स्वभाव में विरोधाभास 
मुकेश अंबानी गंभीर और योजना-आधारित तरीके से काम करने में विश्वास करते हैं। वे बड़ी परियोजनाओं में पूरी डिटेल के साथ काम करते हैं। जामनगर में 15 हजार करोड़ के रिलायंस पेट्रोलियम प्लांट की स्थापना में मुकेश का सबसे बड़ा योगदान रहा है। दूसरी ओर अनिल अंबानी हाईप्रोफाइल लाइफ स्टाइल और आधुनिक तौर-तरीकों में विश्वास करते हैं। देश के कैपिटल मार्केट का पहला श्रेय अनिल को दिया जाता है। अनिल अंबानी फिटनेस को लेकर काफी सतर्क रहते हैं। वे सहारा ग्रुप, अमिताभ, मुलायम और अमर सिंह जैसी हस्तियों के काफी निकट हैं। इसी वजह से वे राज्यसभा सदस्य भी बने थे।   
राम-लक्ष्मण की जोड़ी टूट गई
मुकेश और अनिल की तुलना राम-लक्ष्मण के रूप में होती थी। धीरूभाई के निधन के बाद बढ़ते विवाद के कारण दोनों के बीच बातचीत बंद हो गए। धीरे-धीरे अनिल अंबानी रिलायंस एनर्जी और रिलायंस कैपिटल तक सीमित हो गए। 27 जुलाई 2004 को आरआईएल की बोर्ड मीटिंग में रिलायंस ग्रुप से जुड़े सभी आर्थिक निर्णय लेने के अधिकार मुकेश को सौंपे गए। अनिल अंबानी ने चार पेज का पत्र लिखकर इसका कड़ा विरोध भी किया था। आखिरकार 2005 में रिलायंस के बंटवारे की योजना बनाई गई। फ्लैगशिप रिलायंस इंडस्ट्रीज की सत्ता मुकेश को सौंपी गई। पेट्रोकेमिकल, ऑयल और गैस रिफाइनरी तथा टैक्सटाइल मुकेश के हिस्से में आया। जबकि अनिल अंबानी की कंपनी अनिल धीरूभाई अंबानी (एडीएजी) के हिस्से में टेलिकॉम, पावर, एन्टरटेनमेंट और फायनांसियल आए।
बड़े भाई मुकेश की लंबी छलांग 
मुकेश अंबानी चीन के अलीबाबा ग्रुप के मालिक जैक मान को पीछे छोड़ते हुए एशिया में सबसे अमीर बन गए हैं। मुकेश अंबानी ने जियो लांच करके देश में नई इंटरनेट क्रांति लाई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज भी 100 अरब डॉलर क्लब में शामिल हो गई है। ब्लूमबर्ग बिलियोनर्स इंडेक्स के अनुसार मुकेश अंबानी की निजी संपत्ति 43 अरब डॉलर यानी कि 31 खरब रूपए को पार कर गई है

मुकेश अंबानी के लिए टर्निंग प्वाॅइंट 
वर्ष 2005 में कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल के रिकार्ड स्तर पर थी। मुकेश के लिए यह सबसे बड़ी चिंता थी। क्योंकि उनकी रिफाइनरी कंपनियों की मार्जिन घटने का डर था। उस दौरान देश में मोबाइल फोन मार्केट तेजी से आगे बढ़ रहा था। लेकिन दोनों भाइयों के बीच हुए करार के अनुसार मुकेश अंबानी ऐसा कोई बिजनेस नहीं शुरू कर सकते थे जिससे अनिल को नुकसान हो। वर्ष 2010 में दोनों के बीच नॉन-कंपीट शर्त (प्रतिस्पर्धा न करने की शर्त) पूरी हो गई। तब मुकेश अंबानी ने तत्काल मोबाइल मार्केट में उतरने का निर्णय लिया।   

ये था मुकेश का सबसे बड़ा दांव 
जानकारों की मानें तो मुकेश अंबानी ने मोबाइल नेटवर्क पर सबसे बड़ा दांव खेला था। निवेशकों को पता था कि मुकेश अंबानी बिजनेस की कमाई नई कंपनी में डाल रहे हैं। इसका असर यह हुआ कि बॉबे स्टॉक एक्सचेंज में रिलायंस के शेयर में पिछले दशक में काफी गिरावट आई। लांचिंग से दो साल पहले 2016 में रिलायंस जियो को 22 लाख 70 हजार ग्राहक मिल गए थे और कंपनी मुनाफा कमाने लगी थी। प्रतिस्पर्धी कंपनियां हैरान हो गई, क्योंकि 99 रुपए में मंथली प्लान लाकर एक प्रकार से प्राइस वार छेड़ दिया था।  

दूसरी ओर अनिल अंबानी के कमजोर पहलू 
अनिल की परिस्थिति लगातार बिगड़ती गई। वह दिन भी आया कि जब कुछ कंपनियों का कर्ज भरने के लिए संपत्ति बेचनी शुरू कर दी। नतीजतन, उनकी कंपनी के शेयर लगातार गिरने लगे। उनकी दूसरी कंपनियां भी बुरे दौर से गुजर रही हैं। जियो प्राइस वॉर में अनिल की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन धराशायी हो गई। 

अनिल अंबानी।

बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी सबसे ज्यादा सफल 
फिलहाल दोनों भाइयों की संपत्ति में 113 बिलियन डॉलर यानी कि 7.97 लाख करोड़ रुपए का अंतर है। मुकेश अंबानी की संपत्ति 114.46 बिलियन डॉलर और अनिल अंबानी की संपत्ति 2.93 बिलियन डॉलर है। ब्लूमबर्ग के अनुसार बंटवारे के 10 साल बाद मुकेश की रिलायंस इंडस्ट्रीज का कंपाउंड ग्रोथ रेट 11.2 प्रतिशत (सेल्स), 9.4 प्रतिशत (प्रॉफिट), 17.8 प्रतिशत (रिटर्न) है। जबकि अनिल अंबानी ग्रुप का ग्रोथ रेट 9.4 प्रतिशत, 12.6 प्रतिशत और 1.7 प्रतिशत है। 

अगर दोनों भाई फिर से एक हो जाएं तो?
यह हकीकत है कि मुकेश और अनिल अंबानी एक हो जाएं तो दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होंगे। हालांकि दोनों के विचार और काम करने का ढंग अलग होने से यह हो पाना मुश्किल है। 

अंबानी भाई।

ऑलटाइम हाई से ऑलटाइम लो 
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों पर एक लाख करोड़ से अधिक कर्ज है। वह सालाना 10,000 करोड़ का ब्याज चुका रही हैं। एक समय रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयर 844 रुपए के स्तर पर थे जो आज 5.19 रुपए के निचले स्तर पर आ गए हैं।

अनिल अंबानी।

मुकेश अंबानी ग्रुप 
 

कंपनीमार्केट कैप (रु. करोड़)
रिलायंस इंडस्ट्रीज     8,17,815 
आरआईआईएल     414 
कुल मार्केट कैप    81,82, 299

एडीएजी ग्रुप की स्थिति 

कंपनी         मार्केट कैप (रु. करोड़)
रिलायंस कम्युनिकेशन1,435
रिलायंस पावर    2,791
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर    2,914
रिलायंस नेवल     575
रिलायंस कैपिटल    2,936
रिलायंस निप्पन    9,529
रिलायंस होम फायनांस  1,175
कुल मार्केट कैप    21,355

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