भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में देरी के लिए यूपी की पूर्ववर्ती कांग्रेस और सपा-बसपा सरकारें जिम्मेदार है। शाह ने पूर्वी यूपी के दौरे के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि यूपी की पूर्ववर्ती सरकारों ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जरूरी दस्तावेज जमा नहीं कराए। शाह ने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें सालों में यह काम नहीं कर सकी, लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के 6 महीने में ही यह कर दिया।
गोरखपुर और वाराणसी क्षेत्र के दो दिनों के दौरे पर थे और बूथ प्रेजिडेंट स्तर के कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा, 5 -5 साल पर उत्तर प्रदेश मे सपा-बसपा की सरकार बनती रही, लेकिन राम मंदिर केस से जुड़े 1.5 लाख दस्तावेजों का अनुवाद इन सरकारों ने नहीं कराया। शाह ने प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए इस काम के पूरा होने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमारे सीएम योगी आदित्यनाथ ने बहुत जल्दी यह काम कर दिखाया। उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ जब सीएम बने तो मैंने उनसे पूछा कि क्या वह यह मुश्किल काम पूरा कर सकते हैं?
छह महीने के अंदर उन्होंने सभी जरूरी दस्तावेजों का अनुवाद कर सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दिया। यह हमारी सरकार ही कर सकती है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी भी तरह राम मंदिर निर्माण पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल अभी भी सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की सुनवाई 2019 के बाद करने के लिए राजी करने की कोशिश कर रहे हैं। इन तीनों पार्टियों को अब अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह यहां भव्य राम मंदिर चाहते हैं या नहीं। भाजपा अध्यक्ष ने राम मंदिर को पार्टी के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि अगर बाकी तीनों पार्टियां न भी कहेंगी तब भी हम अपने स्टैंड पर कायम हैं।
शाह ने कहा, बाकी पार्टी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए न भी कहे तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम यहां पर भव्य राम मंदिर का समर्थन करते हैं। सपा-बसपा गठबंधन पर निशाना साधते हुए शाह ने इसे ‘निजाम’ का नाम दिया। उन्होंने कहा एन से नसीमुद्दीन, आई से इमरान, जेड से आजम, ए से अफजल और एम से मुख्तार है। गौरतलब है कि इन पांचों ही नेताओं को क्षेत्र के विवादित अथवा बाहुबली नेता के तौर पर पहचाना जाता है।