राज्यपाल श्री लालजी टंडन की पहल पर गाँधी जी के 150वें जन्म वर्ष पर 2 अक्टूबर को शाम 6:00 बजे राजभवन में ध्रुपद गायन समारोह आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम में पद्मश्री कलाकार गुंदेचा बंधु प्रस्तुति देंगे। राज्यपाल श्री टंडन ने सृजनात्मकता का परिचय देते हुए राजभवन को सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों के संरक्षण का केन्द्र बनाया है। पिछले कुछ दिनों में ही राजभवन में बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, बैंड प्रस्तुतियाँ, कवि सम्मेलन, स्वतंत्रता संग्राम प्रदर्शनी आदि आयोजित की गई। इसी क्रम में ध्रुपद गायन समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
ध्रुपद, शास्त्रीय संगीत की समृद्ध गायन शैली है। इसे संरक्षित करते हुए समृद्ध बनाने में डागर घराने की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस घराने की परंपरा को उमाकांत और रमाकांत गुंदेचा आगे बढ़ा रहे हैं। नाट्य शास्त्र के अनुसार वर्ण, अलंकार, गान-क्रिया, यति, वाणी, लय आदि के परस्पर संबंध के गीतों को ध्रुव कहा गया है। जिन पदों में यह नियम शामिल हों, उन्हें ध्रुवपद या ध्रुपद कहा जाता है। ध्रुपद, संस्कृति के शास्त्रों पर आधारित गायकी है, जिसे हम आज की भाषा में शास्त्रीय संगीत कहते हैं। इसे पहले मार्गीय संगीत कहा जाता था। डागर घराने ने संगीत, राग और स्वर क्या है और संगीत के उद्देश्य आदि पर अनुसंधान कर ध्रुपद गायकी को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।