मध्य प्रदेश की राजनीति में तूफान मचाने वाला हनीट्रैप कांड का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ।हनी ट्रैप के जरिए वसूली के मामले में मध्यप्रदेश पुलिस की स्पेशल जांच टीम ने रैकेट के सदस्यों के मोबाइल से मिले 1000 से ज्यादा वीडियो की छानबीन की है। ये रैकेट वीआईपी लोगों के आगे युवा लड़कियों को चारा बनाकर जाल बिछाने और फिर उन्हें ब्लैकमेल कर पैसे वसूलने का काम कर रहा था। इस गैंग का नेटवर्क मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में फैला हुआ था।
पुलिस ने कहा कि ये गिरोह न केवल पैसे वसूलता था, बल्कि वीआईपी व्यक्तियों की मदद से प्रमुख सरकारी कांट्रैक्ट भी हासिल करता था। पुलिस ने दावा किया कि राजनीतिक नेताओं और नौकरशाहों सहित करीब 50 लोग गिरोह द्वारा फंसाए गए थे।इस रैकेट का खुलासा तब हुआ जब इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह ने इंदौर पुलिस पर गिरोह के सदस्यों को ब्लैकमेल करने और जबरन धन के रूप में 3 करोड़ रुपये की मांग करने का आरोप लगाया। एसआईटी ने बुधवार को इंदौर पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली।
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इस गिरोह ने युवा लड़कियों को भी निशाना बनाया और उन्हें पढ़ाई और नौकरियों के वादों के साथ फुसलाया। एक किसान ने कहा कि “आरोपियों में से एक आरती दयाल और अभिषेक हमारे गाँव में आए और हमें आश्वस्त किया कि वे मेरी बेटी की शिक्षा का सारा खर्च उठाएंगे और उसे सरकारी नौकरी दिलाने में मदद करेंगे,”। उनकी बेटी ने भी दावा किया है कि सरकारी नौकरी दिलानने के बहाने घोटाले का एक केस उसने भी दायर किया था। मामले में पिछले सप्ताह गिरफ्तार हुए 6 लोगों में आरती दयाल के अलावा मोनिका यादव, ओमप्रकाश कोरी, श्वेता स्वपनिल जैन, श्वेता विजय जैन और बरखा सोनी भटनागर शामिल हैं।