
हम जिस तरह से अपने आस-पास के वातावरण को रखते हैं, वह परिभाषित करता है कि हम अपना जीवन कैसे गुजारेंगे और हम अपने जीवन में क्या-क्या उपलब्धियाँ हासिल करेंगे। यह बात पूजा कक्ष के लिए और भी अधिक महत्व रखती है क्योंकि यह आपके और आपके परिवार के लिए ऊर्जा चार्जिंग पॉइंट है। पूजा कमरे में अच्छे वातावरण से आपका मन अच्छा रहेगा और इसके लिए आपके पूजा कमरे में उचित लाइटिंग का विशेष महत्त्व है।
वैसे प्राकृतिक प्रकाश से बेहतर तो कुछ भी नहीं होता है और यदि प्राकृतिक प्रकाश आपके पूजा कक्ष को रोशन करता है तो आपको उस कमरे में दिन के समय कृत्रिम प्रकाश की आवश्यकता नहीं है, फिर भी आपको रात के समय में उचित प्रकाश की आवश्यकता होगी।
निर्णय लेने का एक अच्छा नियम यह है कि जब भी संदेह हो, तो अपने भीतर जाएं और खोजें कि क्या सही है। उसी तरह अपने अंदर सोचें कि कौन सा रंग आपको जप, अनुष्ठान और ध्यान करने के लिए अधिक शांति और एकाग्रता प्रदान करेगा।
आइये गौर करते हैं इस बारे में कि विद्वानों के विचार और पूजा कमरे में उचित लाइटिंग के लिए आप क्या-क्या साधन इस्तेमाल कर सकते हैं:
पीला रंग सात्विक और सबसे उचित: यदि गौर करें तो आप लगभग सभी सात्विक चीज़ें जैसे भगवान की आरती की लौ का रंग, विष्णु भगवान को चढ़ाये जाने वाले अक्षत का रंग, पूजा के समय धारण किए जाने वाले वस्त्र का रंग, इत्यादि का रंग पीला ही होता है। प्राचीन ग्रंथो के अनुसार, भगवान विष्णु का भी सबसे प्रिय रंग पीला ही है। इसलिए अपने पूजा कमरे में सात्विकता भरे वातावरण और शुभ फल के लिए आप पीले रंग की रौशनी वाले बल्ब का इस्तेमाल कर सकते हैं।
नारंगी रंग की भी है खूबसूरत छटा: नारंगी रंग भी पूजा-पाठ के कार्यों के लिए अच्छा है और इस रंग के बल्बों की लाइटिंग भी पूजा कमरे को बहुत सुन्दर रूप देती है। नारंगी यानी केसरिया का हमारी भारतीय संस्कृति में इतना विशेष महत्त्व है कि प्राचीन काल से इसे हिन्दू संस्कृति का प्रतीक माना जाता रहा है और अक्सर पूजा के वस्त्र भी इस रंग के बनाये जाते हैं। सनातन धर्म में केसरिया रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है।
पूजा कक्ष के लिए बिजली के दीपकों की रौशनी: आज के जमाने में विज्ञान की प्रगति के साथ बिजली के ऐसे बड़े-बड़े दीपक और लैंप बाजार में आते हैं जिनसे आपका पूजा कमरा ना केवल जगमगा जायेगा बल्कि वह एक पावन वातावरण का भी एहसास कराएगा। मिटटी के दिए जल्दी बुझ जाते हैं परंतु बिजली के ये दिए हमेशा जगमाते रहेंगे। आमतौर पर इनको असली दिए की बाती से मिलता-जुलता दिखाने के लिए इनको पीली रंग की रौशनी वाला बनाया जाता है।
फैंसी बल्ब/लाइटिंग का भी कर सकते हैं उपयोग: आप दिवाली के समय सजाये गए फैंसी बल्ब और लाइटिंग वाली लड़ियाँ अपने पूजा कमरे को आकर्षक रूप देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, परंतु ध्यान रखें कि यह फैंसी लाइटिंग ऐसी भी डिस्को लाइट जैसी ना हो कि पूजा और ध्यान करते समय उसकी चकमक से आपका ध्यान भटके। यदि इससे आपके मन को ख़ुशी मिलती है कि प्रभु का कमरा कितना सुन्दर सजा है और छटा मनोहारी लग रही है तो यह सही है।
पूजा कमरे में बल्ब और लाइटिंग आप किसी भी रंग की लगायें, आपको शाँति देने वाला असली प्रकाश तो आपके मन और आत्मा के भीतर का ही होगा परंतु आप अपने अंदर की ओर ध्यान लगा पायें, इसके लिए आपके पूजा कमरे का दिव्यता से भरा प्रकाश, माहौल बनाने में आपकी सहायता करेगा।