राजकोट के कपड़ा दुकानदारों ने बाजार में आई सुस्ती और घटती बिक्री से निपटने के लिए जीरो फीसदी ब्याज ईएमआई पर कपड़ा बेच रहे हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कपड़ा उद्योग सहित कई सेक्टर में सुस्ती आ गई है जिससे लगातार बिक्री घट रही है.
वित्त सलाहकार निमित उकानी ने कहा कि “बेचने के नए तरीके बाजार में मंदी के संकेत हैं. ऐसा लगता है कि रिटेल कारोबार को अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती और ऑनलाइन शॉपिंग से सबसे अधिक घाटा हुआ है.”
कपड़ा दुकानदार धर्मेश बिट्ठल भाई ने कहा कि कुछ महीनों से बाजार में आई मंदी की वजह से बिक्री घट गई जिसके बाद ग्राहकों पर वित्तीय दबाव कम करने के लिए उन्होंने यह फैसला लिया.
उन्होंने इसके लिए एक वित्तीय कंपनी के साथ करार किया है और सात फीसदी कमीशन खुद वहन करते हैं.
उन्होंने कहा कि फिलहाल तो कम-से-कम 5,000 रुपये की खरीदारी पर ईएमआई की सुविधा दी जा रही है लेकिन आने वाले समय में वह न्यूनतम राशि को 3,000 रुपये करने वाले हैं. ईएमआई के तहत ग्राहक तीन या छह महीने में रकम का इंस्टॉलमेंट में भुगतान कर सकते हैं.
राजकोट के दुकानदार बिपिन मोटवानी के हवाले से कि त्योहार के मौसम में चार सदस्यों का एक परिवार 20,000 रुपये तक की खरीदारी करता है. लेकिन मध्यवर्ग पूरी रकम एक साथ देने की बजाय इंस्टॉलमेंट में देने को प्राथमिकता देता है.
दुकानदार मुकेश रडाडिया ने कहा कि चीजें इतनी खराब हो चुकी हैं कि ईएमआई की योजना भी कोई मदद नहीं कर पाई है, हमने हाल ही में अपनी दुकान बंद कर दी है.
रवि पुरोहित ईएमआई पर कपड़ा बिक्री करने में दुकानदारों की मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि अभी बाजार में पैसे की कमी हो गई है, और यह बात मध्यवर्ग के लिए विशेष रूप से कही जा सकती है.
उन्होंने कहा कि शादी के मौके पर बड़े पैमाने पर कपड़े खरीदने पड़ते हैं. ऐसे में पेमेंट करने में थोड़ी आसानी हो जाए तो ग्राहक ज्यादा खरीद पाते हैं.
उन्होंने कहा कि ईएमआई योजना से जहां व्यापारियों को बिक्री में मदद मिलती है और उन्हें तुरंत भुगतान हो जाता है. वहीं ग्राहकों को भी एक साथ पूरी रकम चुकानी नहीं पड़ती है. खरीद के बाद लेन-देन का मामला ग्राहक और वित्त कंपनी के बीच का होता है.