जबलपुर। मध्यप्रदेश में जनसंख्या रेट घटाने को लेकर शासन-प्रशासन निष्क्रियता दिख रहा है. इसका यह नतीजा निकला की मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के दो माह बीत जाने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया.(MP High Court) दरअसल, जबलपुर की समाजिक संस्था “नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच” द्वारा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में हाईकोर्ट द्वारा आदेश जारी होने के बाद भी राज्य सरकार ने कार्रवाई नहीं की है.
मुख्य सचिव को भेजा गया था नोटिस: नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव के मुताबिक हाईकोर्ट ने विगत 6 मई 2022 को यह आदेश जारी किया था, इसमें एक माह के भीतर निर्णय लिए जाने का एक नोटिस भी राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भेज गया था. राज्य सरकार को भेजे गए अभ्यावेदन पर निर्णय लेकर आवश्यक आदेश जल्द पारित करने को कहा गया था.
अभ्यावेदन में की गई मांग: नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि यदि एक माह के भीतर अभ्यावेदन पर निर्णय नहीं लिया गया तो एक बार फिर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की शरण ली जाएगी. अभ्यावेदन में मांग की गई है कि, जनवरी 2000 में लागू हुई जनसंख्या नीति पूरी तरह लागू की जाए. ऐसा इसलिए किया जाए क्योंकि मध्यप्रदेश में जनसंख्या वृद्धि की दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. पिछले 10 सालों से वह 20 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 17 प्रतिशत है. टोटल रेट 201 होना चाहिए. जनसंख्या में भारी वृद्धि होने के कारण प्रदेश के संसाधन और स्त्रोत कम पड़ रहे हैं, लेकिन पिछले 22 सालों से इस विषय पर मध्यप्रदेश में जनसंख्या रेट घटाने पर निष्क्रियता ही बनी हुई है.