चकत्ते त्वचा की कोशिकाओं के एक निष्क्रिय अंग समझे जा सकते हैं. आपकी त्वचा में अलग-अलग प्रकार की दर्जनों कोशिकाएं होती हैं, जिनमें रक्त वाहिकाएं, तंत्रिकाएं और त्वचा की प्रतिरक्षा प्रणाली बनाने वाली कोशिकाएं भी शामिल है. दशकों से चिकित्सक. चकत्तों का निदान करने के लिए अपनी आंखों पर ही निर्भर रहे हैं, लेकिन माइक्रोस्कोप से भी त्वचा के नमूने की संरचनागत बनावट की जांच करके त्वचा संबंधी सामान्य समस्याओं का पता लगाया जा सकता है. हालांकि कई ऐसे प्रकार के चकत्ते होते हैं, जिनके बीच स्पष्ट अंतर बता पाना मुश्किल हो जाता है.
आणविक स्तर पर जांच से चकत्तों के बीच अंतर अधिक स्पष्ट हो जाता है, लेकिन प्रौद्योगिकी संबंधी सीमाओं के कारण त्वचा के चकत्तों की आणविक जांच सामान्य रूप से अपनाई जाने वाली प्रक्रिया नहीं है. इस बारे में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के त्वचा विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर रेमंड जे चो बताते हैं कि, ‘मैं और मेरे सहयोगी, एक नए दृष्टिकोण का उपयोग करके त्वचा पर चकत्ते की आनुवंशिक प्रोफाइल का विश्लेषण करने और मात्रात्मक रूप से उनके मूल कारणों का निदान करने में सफल रहे.’ पारंपरिक आनुवंशिक विश्लेषण के तहत लाखों कोशिकाओं में हजारों जीन की गतिविधि का औसत निकालकर जांच की जाती है लेकिन त्वचा, कोशिकाओं का एक जटिल मिश्रण है. इन कोशिकाओं के प्रकारों को एक समूह में समेटना मुश्किल है.
हाल में विकसित एकल-कोशिका आरएनए अनुक्रमण ने वैज्ञानिकों को त्वचा की हर प्रकार की कोशिका की पहचान को संरक्षित करने में सक्षम बनाया है. इसपर प्रोफेसर रेमंड ने बताया कि ‘मैंने और मेरे सहयोगियों ने इस दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए 31 रोगियों की त्वचा के नमूनों से 158,000 से अधिक प्रतिरक्षा कोशिकाओं को अलग किया. हमने प्रत्येक रोगी के लिए विस्तृत आणविक ‘फिंगरप्रंट’ बनाने के लिए इन हरेक कोशिका में से लगभग 1 हजार जीन की गतिविधि को मापा.’ इन फिंगरप्रिंट के विश्लेषण के बाद हम हर चकत्ते में मौजूद प्रतिरोधी कोशिकाओं की विशिष्ट आनुवंशिक अनियमितताओं का पता लगाने में सफल रहे
उन्होंने आगे बताया कि, ‘हमने यह भी पाया कि हमने जिस निदान का अनुमान लगाया, कुछ मरीजों को उसके अनुसार उपचार से लाभ हुआ. इसका अर्थ यह है कि हमारे इस अनुसंधान को और जांच के लिए विस्तार दिया जा सकता है. हमारे अध्ययन को चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के लिए उपलब्ध कराने के लिए, हमने ‘रैशएक्स’ नामक वेब डेटाबेस विकसित किया है जिसमें विभिन्न चकत्तों के आनुवंशिक फिंगरप्रिंट शामिल किए गए हैं. इस डेटाबेस की मदद से चिकित्सक अपने मरीजों के चकत्तों की आनुवंशिक प्रोफाइल की हमारे डेटाबेस में उपलब्ध समान प्रकार की प्रोफाइल से तुलना कर सकते हैं. इसमें बारीकी से मेल खाने वाले आनुवंशिक फिंगरप्रिंट से यह पता चल सकता है कि उनके रोगी के चकत्तों का कारण क्या है और उनका संभावित उपचार क्या है. हमारी ‘रैशएक्स’ परियोजना शुरू में केवल दो सामान्य प्रकार के चकत्तों सोराइसिस और एक्जिमा (खाज) पर केंद्रित है, लेकिन और वैज्ञानिकों के सहयोग से तथा नए डेटा में योगदान देने से इस डेटाबेस को विस्तार मिलेगा.’