जबलपुर। राजधानी भोपाल हो या फिर धार, प्रदेश में लगातार आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. आवारा कुत्ते लगातार बच्चों को अपना निशाना बनाते रहते हैं. जबलपुर में नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी में 3 करोड़ 33 लाख रु से ज्यादा खर्च किए हैं. इसके बावजूद भी आवारा कुत्तों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा हैं.
रोज कुत्तों का शिकार हो रहे है लोग
जबलपुर जिले में रोज 50 से ज्यादा लोग को आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे हैं. जिला अस्पताल जबलपुर और मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन 50 से 70 कुत्ते के काटने के मामले सामने आ रहे हैं. घायलों की एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाया जा रहा है.
पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन मौजूद
जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ पंकज ग्रोवर के मुताबिक, कुत्ते के काटने के बाद पांच चरण में रेबीज के इंजेक्शन लगाए जाते हैं. जबलपुर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त मात्रा में रेबीज के इंजेक्शन रखे हुए हैं. बता दें कि, हाइड्रोफोबिया के मरीजों के लिए पूरे संभाग में सिर्फ जबलपुर जिला अस्पताल में ही इसके इंजेक्शन लगाए जाते हैं.
पूरी तरह फेल हुआ सिस्टम
शहर में आवारा कुत्तों के आतंक पर जबलपुर नगर निगम में पदस्थ स्वास्थ्य अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने माना कि, लगाम लगाने के लिए शासन द्वारा करोड़ो रु तक खर्च करने के बावजूद भी नतीजा जस का तस है. कहा जा सकता है कि, आवारा कुत्तों से निजात दिलवाने में नगर निगम और जिला प्रशासन पूरी तरह से फेल हुआ है.
समझें खर्च का गणित
- 705 रु प्रति मादा कुत्ते के बधियाकरण (नसबंदी) में हो रहे है खर्च
- 678 रु प्रति नर कुत्ते पर किए जा रहे है खर्च
- अब तक 55 हजार कुत्तों का हो चुका है बधियाकरण
- 3 करोड़ 33 लाख रु से ज्यादा हो चुके है खर्च
- जनवरी 2020 से दिसम्बर 2021 तक 19 हजार लोगों को कुत्तों ने बनाया निशाना
आवारा कुत्तों के लिए बन रहा डॉग हाउस
भूपेंद्र सिंह के अनुसार, आवारा डॉग को पकड़ कर उनका बधियाकरण (नसबंदी) करने के लिए डॉग हाउस स्थापित किए जा रहे हैं. इसके अलावा आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एक टीम का गठन भी किया गया है.
पहले भी सामने आ चुके ऐसे मामले
इससे पहले भी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ऐसी ही घटना सामने आई थी, जहांआवारा कुत्ते के काटने से एक मासूम गंभीर रूप से घायल हो गई थी. इस मामले पर हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया था और राज्य सरकार को फटकार लगाई थी.