रिसर्च पेपर लिखने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि उनकी टीम ने ऐतिहासिक ग्रंथों में लिखी जबड़े की मांसपेशियों में छिपे अंग को खोजने के लिए अपनी स्टडी शुरू की थी. ऐसा करने के लिए उन्होंने 12 इंसानों के शवों से सिर को काटकर उन्हें फॉर्मलाडेहाइड में संरक्षित किया.लंदन के वैज्ञानिकों ने इंसानी शरीर में एक नए अंग की खोज की है. नए अंग के बारे में इससे पहले कोई जानकारी सामने नहीं आई थी. यह हिस्सा जबड़े की मास्सेटर मांसपेशियों की एक गहरी परत के अंदर मिला है. मास्सेटर मांसपेशी ही जबड़े के निचले हिस्से को ऊपर उठाती है. ये अंग खाने को चबाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मॉडर्न एनाटॉमी टेक्स्ट बुक में मास्सेटर के दो परतों के बारे में ही बताया गया है. इसमें एक गहरी और एक सतही परत है. हालांकि, कुछ ऐतिहासिक किताबों में तीसरी परत के संभावित अस्तित्व का भी जिक्र है, लेकिन वह हाल में ही खोजे गए इस नए हिस्से की स्थिति के अनुसार सही नहीं है. इस खोज से संबंधित रिपोर्ट साइंस जर्नल एनल्स ऑफ एनटॉमी के ऑनलाइन एडिशन में दो दिसंबर को पब्लिश की गई थी. इसमें रिसर्च पेपर लिखने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि उनकी टीम ने ऐतिहासिक ग्रंथों में लिखी जबड़े की मांसपेशियों में छिपे अंग को खोजने के लिए अपनी स्टडी शुरू की थी. ऐसा करने के लिए उन्होंने 12 इंसानों के शवों से सिर को काटकर उन्हें फॉर्मलाडेहाइड में संरक्षित किया. जब वैज्ञानिकों ने इन सिरों का अध्ययन किया तो उन्हें चौंकाने वाले परिणाम मिले. वैज्ञानिकों ने प्राचीन ग्रंथों में लिखे जगह से दूर शरीर का दूसरा हिस्सा दिखाई दिया. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इस शोध के दौरान 16 ताजा शवों का सीटी स्कैन भी लिया और एक जीवित इंसान से एमआरआई स्कैन से तुलना भी की. इन एक्जामिनेशन के जरिए वैज्ञानिकों को जबड़े की मांसपेशियों में तीसरी परत दिखाई दी. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह गहरी परत जाइगोमैटिक प्रॉसेस से चलती है. यही प्रॉसेस गाल की कोमल हड्डियों का बिस्सा बनाता है. इसे कान के ठीक सामने महसूस किया जा सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ बॉसेल के सेंटर ऑफ डेंटल मेडिसिन के प्रोफेसर और डॉक्टर जेन्स क्रिस्टोफ टर्प ने कहा कि हालांकि यह आम तौर पर माना जाता है कि पिछले 100 वर्षों में शारीरिक अनुसंधान ने कोई कसर नहीं छोड़ी है, ऐसे में इसे सदी की खोज माना जा सकता है.
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