नई दिल्ली । कांग्रेस के अंदर मची खींचतान अब खुलकर सामने आ रही है। पार्टी के अंदर ही छिड़े शीत युद्ध और विपक्ष की एकजुटता को लेकर अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने ही सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। इस बीच टीएमसी सुप्रीमो ममता बैनर्जी ने अपने आपको विपक्ष के प्रमुख चेहरे के रूप में अपना दावा पेश कर दिया है। वह विपक्षी दलों के नेताओं से लगातार मुलाकातें कर रही हैं। हाल के दिनों में बड़ी संख्या में लोग टीएमसी के साथ जुड़ रहे हैं, इससे लगता है कि लोग भी, कांग्रेस के मुकाबले, टीएमसी को प्रमुख विपक्षी दल के रूप में स्वीकार कर चुके हैं।
दोनों ही पार्टियां, आमने सामने आकर एक दूसरे के खिलाफ खुद को दिखाने से बच रही हैं, लेकिन दोनों के उठाए गए कदम इस बात का सीधा संकेत दे रहे हैं कि विपक्ष के चेहरे को लेकर उनके बीच प्रतिद्वंद्विता शुरू हो गई है। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी के रवैए को लेकर उन पर कई आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि टीएमसी डबल गेम खेल रही है। पिछली बार संसद सत्र के दौरान वह कांग्रेस के साथ थी। इस बार भी ऐसा ही होना चाहिए था, लेकिन उसने कांग्रेस से दूरी बना ली है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ममता के भतीजे को ईडी ने काल किया था, जिसके बाद ममता की भाजपा से डील हुई और उनके भतीजे को छोड़ दिया गया। इसी वर्ष 20 अगस्त को जब टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और कांग्रेसी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच में मुलाकात हुई थी, तब दोनों की ही तरफ से बातचीत सकारात्मक दिशा की तरफ बढ़ने का संकेत दिया गया था। उस वक्त टीएमसी प्रमुख ने कहा था कि भाजपा की केंद्र सरकार के खिलाफ सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए। लेकिन आज ये स्थिति बदल चुकी है। एक तरफ जहां टीएमसी तेजी से विस्तार की तरफ बढ़ रही है वहीं कांग्रेस सबसे बड़ी लूजर के रूप में सामने आई है।
असम और मेघालय में कांग्रेस के खेमे को मिले झटके के बाद इन दोनों ही पार्टियों की दूरियां और अधिक बढ़ गई है। असम में कांग्रेस महिला विंग की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने हाल ही में टीएमसी का दामन थामा है। इतना ही नहीं टीएमसी में लगातार दूसरी पार्टियों से नेताओं का आना लगा हुआ है। इसमें सबसे अहम कांग्रेस ही है। मेघालय में भी कांग्रेस के पूर्व सीएम समेत करीब 14 नेता टीएमसी में शामिल होने से भी दोनों के बीच तनाव बढ़ा है। बिहार से कीर्ति आजाद भी कांग्रेस को छोड़ टीएमसी में शामिल हुए हैं। टीएमसी में लगातार ये सिलसिला चल रहा है।
टीएमसी गोवा में पार्टी का विस्तार करने और अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश कर रही है। टीएमसी ने कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक का भी बहिष्कार किया था। शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन जहां सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने गांधी की प्रतिमा के आगे विरोध प्रदर्शन किया वहीं टीएमसी सदस्यों ने दूसरी जगह प्रदर्शन कर ये बता दिया कि वह कांग्रेस के साथ नहीं हैं। टीएससी कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की उस बैठक में भी नहीं गई थी, जो राज्य सभा में विपक्ष के 12 सदस्यों के निलंबन के फैसले के खिलाफ लेकर बुलाई गई थी। इस बैठक के बाद इसमें शामिल 11 विपक्षी पार्टियों ने एक साझा बयान जारी किया था जबकि टीएमसी ने अपना पक्ष अलग से रखा था।
टीएमसी अपनी महत्वाकांक्षाओं पर आगे बढ़ रही है। वहीं कांग्रेस आमने-सामने की नाराजगी से बचना चाहती है। आपको बता दें कि हाल ही में ममता बनर्जी दिल्ली में थी लेकिन उन्होंने कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं की थी। जब ममता बैनर्जी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह दूसरे कामों से यहां आई हैं और यह जरूरी नहीं है कि यहां आने पर हर बार सोनिया गांधी से मिला ही जाए।
विधायक निर्मला सप्रे को सदन में अपने साथ नहीं बैठाएगी कांग्रेस, शीतकालीन सत्र में सदस्यता पर हो सकता है फैसला
भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता को लेकर भले ही अभी कोई फैसला ना हुआ हो, लेकिन कांग्रेस ने यह…