
जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है। उनके लिए यह अत्यंत ज़रूरी है कि वे शनि अमावस्या पर दान करें। 4 दिसंबर को शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी है। इस रोज पंच दान करने से जीवन में शनि का प्रभाव समाप्त हो जाता है और शनि उन पर प्रसन्न होते हैं। पंच दान से प्रसन्न होकर सूर्य देव सर्व बाधाओं से मुक्ति व विपत्तियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। साधारण रूप से भी पंच दान सर्वथा कल्याणकारी ही सिद्ध होता है।
शास्त्रों के मुताबिक शनैश्चरी अमावस्या पर पानी में काले तिल मिलाकर नहाने से शनि दोष में कमी आती है। इसके अलावा पीपल में तिल चढ़ाने से पितृदोष भी दूर होता है।
शनि अमावस्या पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। संक्रमण से बचने के लिए घर पर ही पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर नहाएं। इसके बाद श्रद्धा के मुताबिक दान करने का संकल्प लेना चाहिए। फिर जरूरतमंद लोगों को दान देना चाहिए। इस दिन सरसों का तेल, जूते, चप्पल, लकड़ी का पलंग, छाता, काले कपड़े और उड़द की दाल का दान करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म हो जाते हैं।
इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष का प्रभाव कम हो जाता है। इस दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए व्रत रखना चाहिए और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना चाहिए।
मान्यता के अनुसार शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए शनैश्चरी अमावस्या के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने का भी प्रचलन है और शनिवार के दिन शाम को शमी के पेड़ के पास दीपक जलाने से लाभ मिलता है। इस दिन छाया दान से भी शुभ फल मिलते हैं। इस दिन स्टील या लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखें और उसे शाम को शनि मंदिर में कटोरी सहित दान कर दें। शनिवार को तेल मालिश कर नहाना चाहिए। Shani mantra: इस दिन शनि मंदिर में बैठकर ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए या शनि चालीसा का पाठ करें।
शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि शनैश्चरी अमावस्या पर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल के साथ तिल मिलाकर नहाना चाहिए। ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं। शनैश्चरी अमावस्या पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है। इस दिन काले कपड़े में काले तिल रखकर दान देने से साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। साथ ही एक लोटे में पानी और दूध के साथ सफेद तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाने से पितृदोष का असर भी कम होने लगता है। ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि शनिवार को पढ़ने वाली अमावस्या शुभ फल देती है। शनैश्चरी अमावस्या पर तीर्थ स्नान और दान का कई गुना पुण्य फल मिलता है।
बहुत से लोग अपने पूर्वजों के नाम से हवन करते हैं और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं। इस दिन पितरों की शांति के लिए किया गया स्नान-दान और तर्पण उत्तम माना जाता है। इसलिए अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने और तर्पण के साथ दान पुण्य करने तथा व्रत रखने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ बहुत खुश होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।good luck