मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति जानने आयोग बनाएगी सरकार

भोपाल ।

अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को लेकर चल रही सियासत के बीच शिवराज सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए उनके और नजदीक पहुंचने का कदम उठाया है। इसके लिए पिछड़ा वर्ग की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करवाया जाएगा। इस काम को अंजाम देने आयोग गठित किया जाएगा। यह अपनी सिफारिशें सरकार को देगा। इसके आधार पर सरकार पिछड़ा वर्ग के लिए अपनी नीति और कार्ययोजना तैयार करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आयोग के गठन की घोषणा कर दी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण देने का मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
उधर, कांग्रेस ओबीसी को आरक्षण का 27 फीसद लाभ नहीं मिलने को लेकर सरकार की घेराबंदी कर रही है। इस आयोग के गठन के माध्यम से उसका जवाब देने की भी तैयारी है। दरअसल, राज्य सरकार ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण दिलाने के साथ-साथ उनके हित में कदम उठाने के लिए रणनीति बनाकर काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण दिलवाने के लिए न्यायालय में पूरी ताकत के साथ पक्ष रखने के लिए देश के नामचीन अधिवक्ताओं की सेवाएं लेने के निर्देश दिए हैं। वहीं, यह प्रयास भी किए जा रहे हैं कि इस मामले में हाई कोर्ट अंतिम सुनवाई करके निर्णय जल्द से जल्द सुना दे। वहीं, इस वर्ग के उत्थान के लिए योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए नया आयोग गठित किया जा रहा है।

आयोग में ऐसे व्यक्तियों को रखा जाएगा जो पिछड़े वर्गों के बीच काम करते आ रहे हैं। ओबीसी की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए आयोग न सिर्फ इन वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले तमाम संगठनों से रायशुमारी करेगा बल्कि लोगों से भी फीडबैक लेगा। इसके आधार पर सरकार को अनुशंसाएं की जाएंगी। आयोग के माध्यम से कांग्रेस को भी जवाब देने की तैयारी है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा के मानसून सत्र में ओबीसी आरक्षण को लेकर काफी हंगामा हुआ था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर पिछड़े वर्ग के नाम पर पाखंड करने और धोखा देने का आरोप लगाया था।

अजजा वर्ग को मिलेगा सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस पर पिछड़ा वर्ग के लिए नया आयोग बनाने के साथ अनुसूचित जनजाति (अजजा) वर्ग को सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार देने की घोषणा की। साथ ही कहा कि ‘देवारण्य’ योजना के माध्यम से जनजातीय बहुल क्षेत्रों में परंपरागत औषधीय और सुगंधित पौधे लगाने से लेकर प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग और विक्रय की पूरी व्यवस्था विकसित की जाएगी। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए बजट में 17,980 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। सामान्य निर्धन वर्ग का कल्याण हो या फिर अल्पसंख्यक समुदाय घुमक्कड़ और अर्ध घुम्मकड़ को भी स्थायी बसेरा मिले, इसके विशेष प्रयास किए जाएंगे।

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