
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा अलकायदा के आतंकी माड्यूल को उजागर करने और उससे जुड़े आतंकियों को गिरफ्तार करने के बाद अब सुरक्षा एजेंसियों ने इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जुड़े आतंकी माड्यूल का पर्दाफाश किया है। पिछले एक महीने में जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और केरल में 21 जगहों पर मारे गए छापे में कुल 10 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। सुरक्षा एजेंसियां कई संदिग्धों से पूछताछ भी कर रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार लगभग एक साल पहले भारत में सक्रिय आइएस माड्यूल के बारे में जानकारी मिली थी।
ऐसे ट्रेस की लोकेशन
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये आतंकी ‘क्रानिकल फाउंडेशन’ के नाम से एक इंस्टाग्राम चैनल पर बड़ी संख्या में आइएस की दुष्प्रचार सामग्री डाल रहे थे। इस चैनल के पूरी दुनिया में 5,000 सक्रिय सदस्य थे। सुरक्षा एजेंसियों ने छद्म नामों से सक्रिय इसके सदस्यों की पड़ताल शुरू की, तो कर्नाटक के मंगलुरु और बेंगलुरु के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और बांदीपुरा में इनके लोकेशन का पता चला।
एनआइए ने की छानबीन
धीरे-धीरे इन आतंकियों की पहचान की गई और इस साल मार्च में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू की। जांच में यह भी पता चला कि इनमें से कई आतंकी आइएस के कब्जे वाले सीरिया, इराक और अफगानिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे और कुछ तो अप्रैल, 2019 में ईरान के रास्ते अफगानिस्तान जाने की कोशिश भी कर चुके थे।
हमला करने की तैयारी कर रहे थे आतंकी
सूत्रों के अनुसार ये आतंकी कश्मीर में आइएस आतंकियों का ढांचा तैयार करने और हमलों को अंजाम देने की तैयारी में जुटे थे। कश्मीर में आतंकियों की मदद करने वालों को ये धन भी दे रहे थे। गिरफ्तार आतंकी डा. रहीस के पास से बरामद डिजिटल डिवाइस में आइईडी बनाने की तकनीक की विस्तृत जानकारी थी। ये आतंकी ¨हदूवादी नेताओं की हत्या कर देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना और मीडिया संगठनों पर हमला करने की योजना बना रहे थे।
छद्म नाम से आनलाइन पत्रिका निकालता था आतंकी
आइएस के एक अन्य माड्यूल के सरगना जूफरी जौहर दामूदी और उसके सहयोगी अमीन जूहैब को शुक्रवार को कर्नाटक के भटकल से गिरफ्तार किया गया। जूफरी पिछले साल अप्रैल से ‘वायस आफ हिंद’ नाम से एक आनलाइन पत्रिका निकालता था, जिसमें आइएस के दुष्प्रचार के साथ-साथ भारतीय युवाओं को भड़काने की सामग्री भरी होती थी।
ऐसे हुई जूफरी की पहचान
एजेंसियों की नजर से बचने के लिए जूफरी ने अपना नाम अबु हाजिर अल बदरी रख लिया था और खुद को अफगानिस्तान में स्थित बताता था। लेकिन जांच के बाद एजेंसियों को उसके भारत में ही सक्रिय होने की जानकारी मिली। 11 जुलाई को गिरफ्तार किए गए कासिम खुरासानी उर्फ उमर निसार की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ के आधार पर जुफरी असली पहचान उजागर हुई। जूफरी के छोटे भाई अदनान हसन दामुदी को 2017 में एनआइए ने आइएस से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया था।
विदेशी एजेंसियों से भी ली मदद
सूत्रों के अनुसार इस माड्यूल के सदस्यों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए विदेशी एजेंसियों से भी मदद ली गई। इसके अलावा एनआइए, खुफिया एजेंसियों और स्थानीय पुलिस ने आपसी तालमेल के साथ काम किया और हर छोटी-छोटी सूचना का रियल टाइम आदान-प्रदान और उसका विश्लेषण किया जाता रहा। उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने में आइएस के आतंकियों को पकड़न के लिए अनंतनाग, श्रीनगर, बांदीपुरा, बारामूला, मंगलुरु, बेंगलुरु और भटकल में कुल 21 स्थानों पर छापा मारा गया।