पूरे देश की 542 सीटों में से 349 बीजेपी ने जीतक कर इतिहास रच दिया है। काउटिंग के बाद यूपीए 86 व अन्य 107 पर आगे हैं। चुनाव आयोग के आनुसार, बीपेपी को पूरे देश में एक ही स्थान पर 299 सीटें मिलीं, 4 अभी भी आगे हैं। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में माया-अखिलेश के महागठबंधन को भी नहीं चलने दिया और बिहार में जेडीयू के साथ मिलकर राजद का सूपड़ा साफ़ कर दिया। वहीं पूर्वोत्तर में बीजेपी काफी आगे बढ़ी।
गेरूआ तूफान से पूर्वोतर में कांग्रेस साफ हो गई।अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी को दोनों सीटें मिली हैं। असम में 14 में से 9 सीटें जीतीं। मणिपुर की कुल दो में से एक सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया है। त्रिपुरा की दोनों सीटें बीजेपी ने हासिल की। ये कहा जा सकता है कि पूर्वोत्तर में अब बीजेपी का प्रभावी उदय हुआ है। पिछले आम चुनाव में बजेपी को सभी पूर्वोत्तर राज्यों में केवल आठ सीटें मिली थीं। जबकि इस बार उसने यहां की 14 सीटों पर कब्जा किया है।
इस लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सहयोगी दलों के साथ बीजेपी ने 63 सीटें हासिल की, जबकि महागठबंधन को 16 सीटें मिली। बीजेपी को बंगाल में 18 सीटें मिली। यहां पार्टी की 16 सीटें बढ़ी, टीएमसी को 22 सीटें आई, यहां ममता को 12 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा, जबकि कांग्रेस 2 सीटें हासिल कर सकी।
मध्य प्रदेश की कुल 29 सीटों में, राजस्थान की 25 सीटों और छत्तीसगढ़ में 11 सीटों पर बीजेपी की जीत बहुत कुछ कहती है। कांग्रेस शासित तीन राज्यों में कुल 65 सीटों की संख्या बहुत बड़ी है।
लोकसभा चुनाव में जनता ने प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी को वोट दिया। यह फिर से साबित होता है कि एक ही मतदाता विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दो अलग-अलग पार्टियों को वोट दे सकता है। 2014 में, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में 29 सीटों में से सिर्फ दो सीटें जीती थीं। इस समय केवल कमलनाथ का किला छिंदवाड़ा में उनके बेटे नोकुल नाथ की जीत को छोड़कर किसी भी सीट पर नहीं रहा। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने निर्वाचन क्षेत्र से परेशान रहे। लेकिन विधानसभा में 230 में से 114 कांग्रेस ने जीती थी।
पूरे देश के साथ बीजेपी ने बिहार में भी तूफान ला दिया। कन्हैना कुमार संसद की सीढियों तक नहीं पहुंच सके। बीजेपी के गिरिराज सिंह ने युवा सीपीआई उम्मीदवार को लगभग चार लाख मतों से हराया। इसी तरह, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के सहयोगियों ने बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्रों में 37 सीटों की जीत सुनिश्चित करके विपक्षी गठबंधन को बड़ा धक्का दिया है। बीजेपी ने इस राज्य के 17 विधानसभा क्षेत्रों में जीत की पुष्टि की है। एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और रामविलास पासवान की क्रमशः 16 और 6 लोकसभा सीटों पर जीती। दूसरी ओर, लालू प्रसाद यादव ने सिर्फ दो सीटें जीती हैं, वहीं कांग्रेस को 1 लोकसभा सीट से संतोष करना होगा। बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में 22 सीटें जीती थीं। इस बार सीटों की संख्या कम हुई है, लेकिन राजग के लिए परिणाम सकारात्मक हैं।
ओडिशा में बीजेपी आठ सीटों और बीजू जनता दल 13 सीटों पर विजय पाने की स्थिति में है। 2014 के चुनाव में ओडिशा में 21 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें बीजेडी को एक सिर्फ एक सीट बीजेपी को मिली थी।
बंगाल की बात करें तो यहां बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। पश्चिम बंगाल शुरू से ही बीजेपी और मोदी के एजेंडे में था। इस चुनाव में इस राज्य में नरेंद्र मोदी ने कुल 17 रैलियां कीं थीं। बीजेपी ने यहां ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। यहां पर उसने कहा कि ममत बनर्जी सिर्फ मुसलमानों की फिक्र करती हैं, हिंदुओं की नहीं। चुनावी राणनीति के तहत हिंदू वोटों को एकजुट करने का माहौल बनाने में बीजेपी सफल हो गई।
दिल्ली में पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी ने सातों लोकसभा सीटें जीत ली हैं। इस बार उसका वोट प्रतिशत 46.40 से बढ़ कर 56.6 प्रतिशत हो गया है। दिल्ली के हालात ने पीएम मोदी की जीत का रास्ता साफ किया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के विरोध में मैदान में डटकर सत्ता में आए थे। इस लोकसभा चुनाव से पहले वे उसी कांग्रेस से गठबंधन की जी तोड़ कोशिश करते दिखे। दिल्ली की जनता को उनका अपने सिद्धांतों से हटना और उनका ढुलमुल रवैया रास नहीं आया। इसका फायदा बीजेपी ने अच्छे से उठाया और केजरीवाल को उनके रवैये को लेकर जमकर निशाना बनाया। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने आपस में एक-दूसरे के वोट काटकर बीजेपी की जीत का रास्ता प्रशस्त कर दिया।
बीजेपी ने इस बार दक्षिण भारत में भी जड़ें फैलाने की कोशिश की। तेलंगाना के चुनाव परिणाम में उसे कुल 17 में से चार सीटों पर विजय हासिल हुई है। तेलंगाना में बीजेपी को 2014 में 8.50 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार उसे यहां 19 प्रतिशत से ज़्यादा वोट मिले। कर्नाटक में बीजेपी ने जोरदार जीत दर्ज की है। यहां राज्य में सत्तासीन जेडीएस-कांग्रेस को 28 में से सिर्फ दो सीटें जीती हैं। बाकी की 26 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है। तमिलनाडु में सिर्फ एक सीट पर बीजेपी की सहयोगी एआईएडीएमके जीती है।