महामारी में मनमर्जी, मिलना तो दूर, फोन भी नहीं उठाते ड्रग इंस्पेक्टर
भोपाल; शहर में किसी की मां गंभीर हालत में है, तो किसी का बेटा मौत से जूझ रहा है। किसी का पति तो किसी के भाई-बहन कोरोना से जंग लड रहे हैं। ये सब अपनों की जिंदगी बचाने रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिये भटक रहे है, लेकिन ये इंजेक्शन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जिन ड्रग इंस्पेक्टर्स पर है, वे न तो मेडिकल शाॅप पर मिलते है और न फोन उठाते हैं। पीडित मरीजों के परिजनों का आरोप है कि ये इतने निष्ठुर हो चुके है कि भले ही किसी मरीज की जान चली जाये, पर इनका फोन नहीं लगता। वहीं इस मामले में एडीएम भोपाल का कहना है कि हमारी पास सिर्फ शासकीय अस्पताल, मेडिकल कालेज में इंजेक्शन की सप्लाई का काम है। भोपाल के ड्रग इंस्पेक्टर निजी अस्पतालों की सप्लाई का काम देखते है। वे ही अस्पतालों से आने वाली मांग को पूरा करते हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन काफी कम मात्रा में आ रहे है, ऐसे में मुश्किल हो रही है। इस मामले में आयोग ने औषधि नियंत्रक (ड्रग कंट्रोलर) म.प्र. शासन से 07 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है।आयोग ने ड्रग कंट्रोलर से यह भी पूछा है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता की क्या स्थिति है ?