इंदौर।
इंदौर शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए सोमवार सुबह से लेकर शाम तक करीब 77 टन लिक्विड आक्सीजन गुजरात से लाई गई। इसमें आइनोक्स की ओर से सरकारी अस्पतालों के लिए 40 टन और इनहर्ट कंपनी के टैंकरों से करीब 37 टन आक्सीजन की आपूर्ति की गई है। इससे उम्मीद है कि सोमवार के अलावा मंगलवार सुबह तक के लिए अस्पतालों को राहत मिलेगी। पर वास्तव में मांग और आपूर्ति के बीच की खाई अब भी पाटना मुश्किल हो रहा है। इंदौर की जरूरत प्रतिदिन 120 टन आक्सीजन की है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी आपूर्ति में हम वहां नहीं पहुंच रहे हैं।
कुछ बड़े निजी अस्पताल तो अपने स्तर पर आक्सीजन का इंतजाम कर रहे हैं और आक्सीजन प्लांटों से उनको प्राथमिकता पर आक्सीजन दे दी जाती है। लेकिन जो छोटे अस्पताल कोविड मरीजों का इलाज कर रहे हैं, उनको अधिक मुश्किल आ रही है। दरअसल, कोरोना मरीजों की भारी-भरकम तादाद को देखते हुए शहर के कई छोटे अस्पतालों ने अपने यहां भी आक्सीजन बेड बढ़ा दिए हैं।
कोरोना के पहले सामान्य हालत में छोटे अस्पतालों को आक्सीजन की जरूरत न के बराबर होती थी। इसलिए शहर के आपूर्तिकर्ताओं से उनके संपर्क उतने मजबूत नहीं थे, लेकिन एकाएक आक्सीजन की खपत बढ़ने के कारण उन्हें भी आक्सीजन की बहुत जरूरत पड़ने लगी है। पर आक्सीजन प्लांटों पर छोटे अस्पतालों को बड़ी मुश्किल से आक्सीजन मिल पा रही है। इस काम में प्रशासनिक अधिकारियों की मदद भी लेनी पड़ रही है।