इंदौर ।
शहर में बुधवार को 1781 नए कोरोना संक्रमित मिले, जबकि 10 लोगों की मौत हो गई है। कुल 9709 सैपलों की
जांच की गई। इसके अलावा 841 मरीज को स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया गया। अब तक कुल मरने वालों की संख्या 1079 पर पहुंच गया है। अब तक कुल 10 लाख 83 हजार 343 सैंपलों की जांच की गई है। इसमें से 96 हजार 330 सैंपल पाजिटिव मिले हैं। कुल 82 हजार 513 मरीज स्वस्थ हुए है।
14 दिन की बच्ची को सांसद-एसपी की मदद से मिला बिस्तर
बुधवार को एक महिला 14 दिन की कोरोना संक्रमित बच्ची को अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए भटकती रही। जब इंटरनेट मीडिया पर मैसेज चलने लगे तो संक्रमित शिशु को एक निजी अस्पताल में बेड मिल सका। बच्ची की हालत अब ठीक है। मदद करने वाले यश पाराशर के अनुसार उनके पास महिला का फोन आया था। उसने बच्ची की गंभीर स्थिति के बारे में बताते हुए मदद की गुहार लगाई थी। कुछ अस्पतालों में बच्ची को लेकर पहुंचे, लेकिन सभी ने बेड भरे होने का हवाला दिया। आखिरकार इंटरनेट मीडिया पर संदेश भेजे। सांसद शंकर लालवानी और एएसपी (पश्चिम) प्रशांत चौबे ने मदद की और एक निजी अस्पताल में बेड मिला।
मरीज की मौत अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
उषानगर स्थित सेहत अस्पताल में कोरोना संक्रमित राजेश कचौड़े की बुधवार को मौत हो गई। स्वजन ने अस्पताल में हंगामा किया और डा. अंकित मिश्रा और अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। राजेश को दो दिन पूर्व ही फेफड़ों में संक्रमण फैलने के कारण भर्ती किया गया था। बुधवार सुबह डाक्टर ने उसे मृत बता दिया। इसके थोड़ी देर बाद गजाला नामक महिला की भी मौत हो गई। राजेश के स्वजन आरोप लगाया कि मौत डाक्टरों की लापरवाही के चलते हुई। उसे समय पर रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं लगाया गया था। संचालक राजीव भगत के मुताबिक आरोप गलत हैं। राजेश को गंभीर अवस्था में लाया गया था। स्वजन शहर के सारे अस्पताल भटकने के बाद यहां आए थे। स्वजन ने लिखित में कहा कि उपचार के दौरान निधन हुआ तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उपचार के अभाव में निधन हुआ तो अच्छा नहीं होगा।