पेशावर। अल्पसंख्यकों के हितों को लेकर भारत को सीख देने वाला पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है। पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों के साथ हो रहे भेदभाव और जुर्म उसके कथनी और करनी की एक और पोल खोलती है। रविवार को पेशावर में अहमदिया मुसलमान की हत्या कर दी गई। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक पेशावर के बाजिदखेल इलाके में अहमदिया समुदाय के एक होम्योपैथिक डॉक्टर अब्दुल कादिर की इसलिए हत्या कर दी गई, क्योंकि वह अहमदिया थे। पाकिस्तान में यह अहमदिया समुदाय के लोगों की पहली हत्या नहीं है। पाकिस्तान में एक साल में यह पांचवी हत्या है। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ जुर्म की लंबी कहानी है। खास बात यह है कि उनको प्रताड़ित करने में पाकिस्तान हुकूमत भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती है। आखिर कौन है अहमदिया मुसलमान। पाकिस्तान के मुस्लिम क्यों करते इन पर जुर्म। इन मुद्दों को उकेरती ये रिपोर्ट।
पाकिस्तान का संविधान अहमदिया को नहीं मानता मुस्लिम
पाकिस्तान में 40 लाख अल्पसंख्यक अहमदी दहशत के साए में जी रहे हैं। उनको अपने ही देश में बेगाना बनकर रखा गया है। वह कई दशकों से घृणा और उल्फत में जी रहे है। इसके लिए कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान का संविधान जिम्मेदार है। पाकिस्तान का संविधान अहमदिया को मुसलमान नहीं मानता है। दरअसल, इस्लामिक कानून और इस्लामिक इतिहास की अपनी-अपनी समझ के आधार पर मुस्लिम समुदाय के लोग कई पंथों या फिरकों में विभक्त हैं। इन्हीं फिरकों में से एक अहमदिया भी है।