कोरोना से जंग के बीच देश को दो दिन में दूसरा हथियार मिल गया है। शुक्रवार को सीरम इंस्टीट्यूट के टीके कोविशील्ड के बाद शनिवार को विशेषज्ञों की समिति (सीईसी) ने पहले स्वदेशी टीके कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत देने की अनुसंशा कर दी है। इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने विकसित किया है। वहीं, कोविशील्ड को आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका ने विकसित किया है और सीरम इंस्टीट्यूट भारत में इसका उत्पादन कर रहा है।
अब गेंद डीसीजीआइ के पाले में
माना जा रहा है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) जल्द ही दोनों वैक्सीन पर सीईसी की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए इनके इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए हरी झंडी दिखा सकता है। इस बीच, सीरम इंस्टीट्यूट के टीके की तैयार डोज की गुणवत्ता जांचने का काम भी हो गया है। सीरम इंस्टीट्यूट ने 31 दिसंबर तक 7.5 करोड़ डोज तैयार होने और जनवरी के पहले हफ्ते तक इसे बढ़ाकर 10 करोड़ करने का दावा किया है।
डीसीजीआइ की मंजूरी मिलने के बाद टीकाकरण
इनमें लगभग 20 बैच में रखे गए पांच करोड़ सैंपल की गुणवत्ता की जांच हिमाचल प्रदेश के कसौली स्थित सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी में की गई। इन्हें लोगों को लगाए जाने के लिए सही पाया गया है। जाहिर है कि डीसीजीआइ की हरी झंडी मिलते ही इन पांच करोड़ वैक्सीन डोज को लोगों को लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। भारत बायोटेक ने अभी तक कोवैक्सीन की तैयार डोज की जानकारी नहीं दी है।
भारत को मिलेंगी चार करोड़ डोज
सूत्रों के अनुसार जिन पांच करोड़ डोज पर सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी की मुहर लगी है, उनमें से तीन करोड़ डोज सीधे तौर पर भारत को मिलेंगी। दो करोड़ डोज विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जानी है, जिनमें से एक करोड़ डोज विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी ओर से भारत को मुफ्त में देगा। इस तरह भारत के लिए चार करोड़ डोज बिल्कुल तैयार हैं।
सुरक्षित और कारगर है वैक्सीन
भारत बायोटेक को लेकर उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि हैदराबाद की कंपनी की ओर से उपलब्ध कराए गए ट्रायल के अतिरिक्त डाटा का विश्लेषण करने के बाद इसे इस्तेमाल के लिए सुरक्षित पाया गया। कोवैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल अभी जारी है। पहले और दूसरे फेज के ट्रायल में इस वैक्सीन को पूरी तरह सुरक्षित और कोरोना संक्रमण को रोकने में सफल पाया गया था। इसी के आधार पर इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत देने का फैसला किया गया।
स्वदेशी वैक्सीन ज्यादा कारगर
जानकारों का कहना है कि ब्रिटेन में सामने आए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को देखते हुए स्वदेशी टीका कोवैक्सीन ज्यादा कारगर हो सकता है। इस टीके को लाइव वायरस को कल्चर करने के बाद उन्हें निष्कि्रय कर तैयार किया गया है। यह वैक्सीन निर्माण की सबसे पुरानी तकनीक है। यह वैक्सीन कोरोना के पूरे वायरस के लिए शरीर में प्रतिरोधक एंटीबॉडी तैयार करती है। वहीं फाइजर, मॉडर्ना, स्पुतनिक और कोविशील्ड को अत्याधुनिक तकनीक से कोरोना वायरस के सिर्फ स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करने के लिए तैयार किया गया है।
टीकाकरण के लिए तैयार है पूरी सप्लाई चेन
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डीसीजीआइ की अनुमति मिलते ही वैक्सीन को देश के छह स्थानों पर बनाए गए रीजनल सेंटर भेजने का काम शुरू हो जाएगा। वहां से राज्यों की राजधानियों और फिर जिला स्तर पर तैयार कोल्ड स्टोरेज तक पहुंचाया जाएगा। टीकाकरण की पूरी सप्लाई चेन तैयार है।
स्वास्थ्य मंत्री बोले, अफवाहों से रहें सावधान
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोविड वैक्सीन के सुरक्षित और प्रभावी होने को लेकर अफवाहों और भ्रामक सूचनाओं से लोगों को गुमराह नहीं होने की अपील की। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को मंजूरी देने से पहले सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा और अप्रूवल में सुरक्षा मानकों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मालूम हो कि सीरम ने छह दिसंबर, भारत बायोटेक ने सात दिसंबर और फाइजर ने अपने टीके को नियामक मंजूरी देने के लिए चार दिसंबर को आवेदन दिया था।
प्राथमिकता वाले लोगों के लिए नि:शुल्क टीका
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीकाकरण के प्रथम चरण में सर्वाधिक प्राथमिकता वाले लोगों को वैक्सीन नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इन लोगों में एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और अग्रिम मोर्चे के दो करोड़ कर्मी शामिल हैं। लाभार्थियों में 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग और पहले से किसी बीमारी से ग्रसित इससे कम उम्र के लोग शामिल हैं। हर्षवर्धन ने व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान की क्षमता पर संदेहों को खारिज कर दिया।
टीकाकरण जल्द शुरू होने की उम्मीद
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने देश में कोरोना महामारी के खिलाफ जल्द टीकाकरण शुरू किए जाने की उम्मीद जताई। उन्होंने बताया कि वास्तविक टीकाकरण प्रक्रिया से पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को पूरे देश में 285 स्थानों पर पूर्वाभ्यास यानी ड्राई रन किया ताकि कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान को सुचारू रूप से चलाया जा सके। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘को-विन’ टीके के भंडारण, उसके तापमान और लाभार्थियों पर व्यक्तिगत रूप से नजर रखने के बारे में सही सूचना मुहैया कराएगा।