भोपाल. दक्षिण भारत की दो दिन की निजी धार्मिक यात्रा के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह शनिवार दोपहर राजधानी लौट आए हैं। मुख्यमंत्री के राजधानी लौटते ही एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सूत्रों का कहना है कि संभवत: मुख्यमंत्री आज रात या रविवार सुबह दिल्ली जा सकते हैं। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्तव से मिलने का समय मांगा है।
सूत्रों का कहना है कि अगर केंद्रीय नेतृत्व से समय मिलने का बाद अगर मुख्यमंत्री रविवार को दिल्ली जाते हैं तो पूरी संभावना है कि आगामी 30 जून को शपथ दिलाई जा सकती है। इससे पहले राज्यपाल लालजी टंडन की अस्वस्थ होने के चलते छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया ऊइके को मध्य प्रदेश का प्रभार दिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और संगठन मंत्री सुहास भगत के साथ मिलकर मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले संभावित भाजपा विधायकों और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के नाम तय कर लिए हैं।
वरिष्ठ विधायकों के दबाव में अटका मामला
बताया जा रहा है कि जाति, क्षेत्र और सामाजिक संतुलन के साथ पार्टी में ऐसे सीनियर विधायक को भी तवज्जो दी गई है, जो पिछली सरकार में मंत्री नहीं बन पाए थे। इसी के बाद पार्टी की मुश्किल बढ़ गई है। पार्टी चाहती है कि मौजूदा 5 मंत्रियों को मिलाकर मंत्रिमंडल इतना बढ़ा हो कि 4 से 5 स्थान रिक्त रहें। यानी साफ है कि अब 24 से 25 लोगों को ही शिवराज की टीम में जगह मिल सकती है। सिंधिया समर्थकों के 11 नेताओं (गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट के बाद अब 9 मंत्री और बन सकते हैं) को मंत्रिमंडल में लेने के बाद 18 से 19 पद भाजपा को मिलेंगे। कांग्रेस के बागियों में प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिसोदिया, राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, हरदीप सिंह डंग का नाम है। भाजपा के दो मंत्री बन चुके हैं। लिहाजा, 15 से 16 चेहरे भाजपा से तय करने हैं। विंध्य, बुंदेलखंड और भोपाल संभाग से पार्टी पर दबाव है। ऐसे में कुछ पुराने चेहरे ड्रॉप हो सकते हैं।
बसपा और निर्दलीय को स्थान नहीं
सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि बसपा से निलंबित विधायक रमाबाई कई मौकों पर भाजपा नेताओं द्वारा मंत्री बनाए जाने किए गए वादे का जिक्र कर चुकी हैं। इधर, ये भी कहा जा रहा है कि इन विधायकों निगम-मंडलों की कमान सौंपी जा सकती है।
गोपाल भार्गव पर संशय बरकरार
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा के वरिष्ठ विघायक गोपाल भार्गव को क्षेत्रीय संतुलन के चलते विधानसभा अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। लेकिन गोपाल भार्गव इसके लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्तव के सामने अपनी बात भी रख दी है। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर भी अपना पक्ष रख दिया है।
DB