दीपदान यह एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में सुना तो लगभग सभी लोगों ने है परंतु वास्तव में दीपदान क्या है इसके बारे में लोग नहीं जानते। जी हां, दीपदान कैसे करना चाहिए, इसे करने के फायदे, इसे कहां किया जाता है, कब किया जाता है आदि जैसे सवालों से आज भी बहुत से लोग अनजान है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि दीपदान क्या है वह इसे कैसे करना चाहिए और इसका शास्त्रों में किस तरह का महत्व उल्लेखित है।
धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों के अनुसार दीपक का दान करना अथवा दीप को जलाकर उसे उचित स्थान पर रखना ही दीपदान कहलाता है। किसी दीपक को जलाकर देवस्थान पर रखकर आना या उन्हें नदी में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है। कहा जाता है कि यह प्रभु के समक्ष निवेदन प्रकट करने का एक धार्मिक तरीका होता है।
यहां करते हैं दीपदान-
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक दीपदान हमेशा देव मंदिर में किया जाता है। विद्वान ब्राह्मण के घर में भी दीपदान किया जाता है। इसके अलावा नदी के किनारे नदी में दीपदान किया जा सकता है तथा दुर्गम स्थान अथवा भूमि यानी धान के ऊपर थी दीपदान करने का महत्व है।
कैसे किया जाता है दीपदान-
मिट्टी के दीए में तेल डाल कर उसे मंदिर में ले जाकर प्रज्वलित कर उसे वहां रख दें। कहा जाता है दीपों की संख्या और बतियां का समय अनुसार और मनोकामना अनुसार तय होती है।
आटे के छोटे से दिए बनाकर उन्हें थोड़ा सा तेल डालकर और पतली सी रुई की बत्ती जला कर उसे पीपल यै बढ़ के पत्ते पर रखकर नदी में प्रवाहित किया जाता है।
इस बात का खास ख्याल रखें की देव मंदिर में दीपक को सीधा भूमि पर नहीं रखा जाना चाहिए। इसे हमेशा सप्त धान या चावल के ऊपर ही रखना चाहिए। कहा जाता है भूमि पर इसे रखने से भूमि को आघात होता है।
इनका तिथियों पर किया जाता है दीपदान-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी स्नान पर्व और व्रत के समय दीपदान किया जाता है।
नरक चतुर्दशी और यम द्वितीया के दिन भी दीप दान करने का विधान है।
दीपावली अमावस्या और पूर्णिमा के दिन भी दीपदान करने का अधिक महत्व बताया जाता है।
पद्म पुराण के अनुसार उत्तराखंड में स्वयं महादेव अपने पुत्र कार्तिक को दीपावली कार्तिक कृष्ण पक्ष के पांच दिन में दीप दान का विशेष महत्व बताते हैं।
इसके अलावा शास्त्रों में वर्णित श्लोक के अनुसार-
कृष्णपक्षे विशेषेण पुत्र पंचदिनानि च।
पुण्यानि तेषु यो दत्ते दीपं सोऽक्षयमाप्नुयात्।
कृष्ण पक्ष में रमा एकादशी से लेकर दीपावली तक 5 दिन बड़े पवित्र है। कहा जाता है उनमें जो भी दान किया जाता है, वह सब अक्षय और सम्पूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला कहलाता है।
दीपदान के फायदे-
कहा जाता है दीपदान करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। मृतकों की सद्गति के लिए भी दीपदान करना शुभ माना जाता है। देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भी दीपदान किया जाता है। इसके अलावा यम, शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए भी दीपदान किया जाता है।