इंदौर में पिपलियाहाना तालाब की जमीन पर बन रही जिला न्यायालय के नए भवन के निर्माण में पर्यावरण नियमों का पालन हो रहा है या नहीं यह जांचने के लिए राज्य पर्यावरण इम्पेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी व वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का दल शनिवार को पिपलियाहाना तालाब पहुंचा। दल के सदस्यों ने याचिकाकर्ता और कोर्ट बिल्डिंग का निर्माण करने वाली एजेंसी दोनों का पक्ष सुनने के बाद भौतिक सत्यापन भी किया। दल के सदस्य जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।
दरअसल, इंदौर के पिपलियाहाना तालाब के पास जिला न्यायालय के नए भवन का निर्माण किया जा रहा है। इस भवन के निर्माण के लिए पर्यावरण मंत्रालय द्वारा भी अनुमति दी गई है। अनुमति में पर्यावरण विभाग ने तो अपने नियम तय तो किए ही है, एनजीटी के निर्देशों का पालन करने की भी शर्त रखी गई है। अनुमति में जो शर्तें तय की गई है, उनका पालन हो रहा है या नहीं यह देखने के लिए राज्य पर्यावरण इम्पेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी व वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का दल शनिवार को इंदौर पहुंचा। दल के सदस्यों ने पहले रेसीडेंसी कोठी में जिला कलेक्टर द्वारा पिपलियाहाना तालाब के फुल टेंक लेवल को तय करने के लिए बनाई कमेटी के साथ चर्चा की। वही रेसीडेंसी कोठी में बैठक के बाद दल के सदस्य, सभी याचिकाकर्ता, कोर्ट बिल्डिंग का निर्माण करने वाली एजेंसी और जिला न्यायालय के अधिकारी पिपलियाहाना तालाब पहुंचे, जहां दल के सदस्यों ने यहां दोनों पक्षों को सुना। वही दल के सदस्य एम रमेश के अनुसार बिल्डिंग निर्माण के लिए पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुमति दी गई है। इस अनुमति में तय की गई शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं, इसका भौतिक सत्यापन करने के लिए आए थे, जल्द ही मंत्रालय के दिल्ली मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाएगी।