भोपाल। अमरवाड़ा विधानसभा में उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी कमलेश शाह की मिली जीत के बाद सियासी गलियारों में फिर चर्चाओं का माहौल गर्म हो गया है। चर्चा इस बात को लेकर है कि कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए विजयपुर विधानसभा से रामनिवास रावत को मोहन सरकार में मंत्री पद ने नवाजा गया। साथ ही महाकौशल क्षेत्र से एक मजबूत आदिवासी चेहरा बीजेपी में शामिल हुआ तो दूसरी ओर छिंदवाड़ा में बीते विधानसभा चुनाव में जिले की सातों सीट पर कांग्रेस की हुई जीत का बदला भी पूरा हुआ। अमरवाड़ा विधानसभा में बीजेपी ने 16 साल बाद वापसी की है। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में अमरवाड़ा से बीजेपी के प्रेमनारायण ठाकुर जीते थे। आदिवासी बाहुल्य इस विधानसभा के हर्रई राजघराने से कमलेश शाह ने साल 2013 में हुए विधानसभा में कांग्रेस पार्टी से पहली बार जीते थे। जब से लगातार इस सीट पर कमलेश शाह ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कराई। उपचुनाव में कांटे की टक्कर के साथ कमलेश शाह मात्र 3027 मतों से जीते। जबकि साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से कमलेश शाह 25000 से ज्यादा मतों से जीते थे।
दूसरी ओर अमरवाड़ा उपचुनाव में प्रचार के दौर भी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने ज्यादातर सभाओं में यह संकेत भाषणों से दिया कि शाह का कद अब और बढ़ेगा। उनके मंत्री पद को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र मिश्रा ने कहा कि कमलेश शाह की जीत के बाद अब उनकी बीजेपी में उपयोगिता नहीं बची है। सभाओं में कई बार शाह को मंत्री पद दिए जाने के संकेत भी जनता को दिए गए। लेकिन, बीजेपी में उपयोगिता के आधार पर पद दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अति महत्वाकांक्षी रामनिवास रावत की मंत्री पद के लिए ही बीजेपी से डील हुई थी। अब अमरवाड़ा के शाह का क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।
उधर, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी में हर व्यक्ति के लिए उसकी क्षमता के मुताबिक काम दिया जाता है। बीजेपी के लिए कमलेश शाह आदिवासी वर्ग का गौरव हैं। उपचुनाव में मिली जीत से यह बात भी साफ हुई कि शाह के बीजेपी में शामिल होने के निर्णय को जनता ने स्वीकारा है। मंत्रिमंडल के विस्तार से लेकर गठन का निर्णय मुख्यमंत्री का होता है। बीजेपी ने इस बात का दावा किया कि उन्हें किसी न किसी पद से जरूर नवाजा जाएगा। वहीं कांग्रेस के आरोप को उन्होंने नकारते हुए कहा कि कांग्रेस सिर्फ पद, लालच और धांधली के लिए ही राजनीति करती है। लिहाजा कांग्रेसियों के बयान भी उनकी मानसिकता का ही उदाहरण हैं।