भोपाल । मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी प्रदेश पर नजर बनाए हुए है। समय समय पर दौरे किया जा रहा है। जिससे दोबारा भाजपा सरकार बनाया जा सके। एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भोपाल दौरे पर आने वाले हैं। बताया जाता है कि अबकी बार की बैठक में चुनाव की फाइनल रणनीति बनाई जाएगी।
दरअसल 22 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भोपाल आएंगे। मध्य प्रदेश भाजपा की चुनाव प्रबंधन से जुड़ी बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक चुनाव के नजरिए से काफी अहम मानी जा रही है। भाजपा की चुनाव प्रबंधन समिति चुनावी रणनीति बनाने में लगी हुई है। इसके अलावा 23 जुलाई को केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह का मध्य प्रदेश दौरा प्रस्तावित है। अमित शाह भोपाल और उज्जैन के दौरे पर आ सकते है। भोपाल में चुनावी तैयारियों को लेकर बैठक करेंगे। उज्जैन में बाबा महकाल के दर्शन भी करेंगे। इस तरह जेपी नड्डा और अमित शाह लगातार मप्र का चुनावी दौरा कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश के उत्तरी भूभाग में पांच जिलों को मिलाकर ग्वालियर संभाग बनता है। ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, गुना और अशोकनगर पांच जिलों के 21 विधानसभा क्षेत्र इस संभाग में हैं। हर जिले में एक सीट अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित है। प्रदेश की सियासत के हिसाब से यह कद्दावर नेताओं का गढ़ रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया जैसे दिग्गज इस क्षेत्र से देश की सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे तो वर्तमान में ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, डॉ। नरोत्तम मिश्रा जैसे राजनीति के धुरंधर ग्वालियर संभाग से आते हैं। वर्ष 2018 में मप्र में कांग्रेस की सरकार बनाने में ग्वालियर का बड़ा योगदान था तो वर्ष 2020 में मप्र की सत्ता की करवट बदलने में ज्योतिरादित्य सिंधिया और इसी ग्वालियर-चंबल संभाग की अहम भूमिका रही। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मप्र में कांग्रेस की सरकार बनी। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव में ग्वालियर संभाग के वोटर्स ने कांग्रेस का खुलकर साथ दिया। संभाग की 21 सीटों में से 16 कांग्रेस ने जीती जबकि भाजपा को 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा को भी भितरवार से लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा। अंचल से विजेता रहे प्रद्युम्न सिंह तोमर, जयवर्धन सिंह, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया को कमलनाथ मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व भी मिला।
कांग्रेस सरकार से नाराज से चल रहे विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में इस्तीफे दे दिए। इनमें ग्वालियर संभाग के 9 विधायक शामिल थे। कांग्रेस के साथ छोडक़र भाजपा में गए विधायकों ने इस्तीफे दिए तो नवंबर 2020 में जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें ग्वालियर जिले की 3 सीट ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व और डबरा शामिल थीं। इसके साथ ही दतिया जिले की भांडेर, शिवपुरी जिले की 2 करैरा और पोहरी, गुना जिले की बमोरी और अशोकनगर जिले की 2 अशोकनगर व मुंगावली सीट पर उपचुनाव हुए।
वर्ष 2018 के चुनाव में ग्वालियर संभाग में कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन वर्ष 2020 के उपचुनाव में भाजपा ने 6 सीटें और जीतकर बाजी पलट दी। इस तरह कांग्रेस के पास 10 और भाजपा के पास 11 सीटें हो गईं। तीन सीटों डबरा, ग्वालियर पूर्व और करैरा में कांग्रेस ने अपना कब्जा बरकरार रखा। कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुईं पूर्व मंत्री डबरा विधायक इमरती देवी, ग्वालियर पूर्व के विधायक मुन्नालाल गोयल और करैरा के विधायक जसमंत जाटव को हार कर घर बैठना पड़ा। इसके अलावा अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित भांडेर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया सिर्फ 161 वोटों से हारे।
विधायक निर्मला सप्रे को सदन में अपने साथ नहीं बैठाएगी कांग्रेस, शीतकालीन सत्र में सदस्यता पर हो सकता है फैसला
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