CEC गैर-राजनीतिक होना चाहिए, एक ऐसा शख्स हो, जो स्वतंत्र निर्णय ले सकता हो: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) के रूप में अपनी पसंद के सेवारत नौकरशाहों को नियुक्त करने की केंद्र सरकार की वर्तमान प्रणाली पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में संविधान की चुप्पी एक परेशान करने वाली परंपरा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सीईसी हो या ईसी एक गैर-राजनीतिक शख्स होना चाहिए। एक ऐसा शख्स जो बिना किसी से प्रभावित हुए, स्वतंत्र निर्णय ले सकता हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सर्वश्रेष्ठ गैर-राजनीतिक नियुक्त करने के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए। इस पद पर मजबूत चरित्र वाला व्यक्ति होना चाहिए, जो प्रभावित हुए बिना स्वतंत्र निर्णय लेना जानता हो।

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 324 (2) का भी हवाला दिया और कहा, यह अनुच्छेद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की बात तो करता है लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बारे में कानून बनाया जाना चाहिए था। लेकिन बीते 72 साल में ऐसा नहीं किया गया। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इस प्रक्रिया का शोषण किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2004 के बाद से कोई भी मुख्य चुनाव आयुक्त 06 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “इस तरह संविधान की चुप्पी का फायदा उठाया जा रहा है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”हर सरकार, चाहे वह किसी भी पार्टी की हो, सत्ता में रहना चाहती है। ऐसे में आप चुनाव आयोग के लिए आदर्श और सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की तलाश कैसे करते हैं। यह एख खरबों डॉलर का सवाल है। लेकिन क्या सुप्रीम कोर्ट को मूक दर्शक बनकर रहना चाहिए। इसके लिए एक एक निष्पक्ष, पारदर्शी होना चाहिए। ऐसे में हम अलग-अलग रिपोर्टों और सिफारिशों की जांच कर सकते हैं। लेकिन चयन प्रक्रिया के लिए कोई भी तंत्र निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए।”

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई
जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की। इस याचिका में चुनाव आयोग के पोल पैनल को राजनीतिक या कार्यकारी हस्तक्षेप से बचाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए कोई चेक करने जैसी प्रक्रिया नहीं है, इस नियुक्ति प्रक्रिया के तहत सरकार अपनी पसंद के व्यक्तियों को नियुक्त कर रहे हैं।

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