
भोपाल। कुछ महीने पहले शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल और लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल के विलय के साथ क्या इस पटकथा का पहला हिस्सा लिखा जा रहा था. उस वक्त शरद यादव ने बयान जारी किया था कि देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए बिखरे जनता परिवार को एक साथ लाने की मेरी लगातार कोशिशों का ये पहला जरूरी कदम है. 2022 में अब जब नीतीश कुमार ने एक बार फिर लालू यादव के परिवार से हाथ मिलाया है तो इसमें मध्यप्रदेश के जबलपुर से ताल्लुक रखने वाले शरद यादव की भूमिका कितनी है? यह जानना जरूरी है.

बिहार की राजनीति का एमपी कनेक्शन
शरद यादव का बयान क्या नज़ीर बन गया ? करीब पांच महीने पहले शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल का राजद में विलय किया था. तब इसके पीछे के जो कारण बताए थे, उसमें उन्होंने कहा था कि देश में जो मौजूदा राजनीतिक हालात हैं उनमें जनता दल की अलग-अलग शाखाओं को एक साथ करने के प्रयासों के तहत उन्होंने ये कदम उठाया है. शरद यादव और नीतीश कुमार पहले भी लंबे समय तक एक साथ रहे हैं. जनता दल यूनाइटेड और समता पार्टी का विलय हुआ. नीतीश कुमार जब मुख्यमंत्री बने थे तो पहले भी शरद यादव ने अहम भूमिका निभाई थी.

बिहार की राजनीति का एमपी कनेक्शन
तीनों का सियासी अखाड़ा एक : नीतीश कुमार, लालू यादव और शरद यादव के बीच सियासी मतभेद होते रहे हैं. दूरियां भी बढ़ीं. लेकिन इन दूरियों की उम्र बहुत लंबी नहीं रही. इसकी वजह ये कि ये तीनों एक विचार और एक ही सियासी ज़मीन से आते हैं. सियासी नफा -नुकसान में कभी राहें इधर उधर हो भी जाएँ. लेकिन इनकी बुनियाद और जिस राजनीति के ये पैरोकार हैं, वो हमेशा से एक हैं.
क्या बोले पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव : बिहार की नई सियासी तस्वीर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और आरजेडी नेता शरद यादव कहते हैं “मैंने हमेशा इस बात का प्रयास किया है कि एक विचार की पार्टियां हमेशा एक साथ खड़ी हों. वर्तमान राजनीति की जो परिस्थितियां हैं, उसमें ये सबसे ब़ड़ी ज़रूरत है. इसकी शुरुआत मैंने पांच महीने पहले आरजेडी में अपनी पार्टी के विलय के साथ कर दी थी. मेरी ही पहल पर 2015 में महागठबंधन बना था. 2022 में फिर एक बार जो एक विचार की पार्टियां एक साथ हुई हैं तो ये तय मानिए कि बिहार की जमीन से 2024 में सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ राजनीतिक जंग जीती जाएगी. ये महागठबंधन की सरकार नहीं, साझा सरकार है.”