जयपुर. राजस्थान में बसपा के सभी छह विधायक सोमवार देर रात कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 100 बढ़कर 106 हो गई है। इससे पहले राज्य में कांग्रेस सरकार को बसपा का बाहर से समर्थन था। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि सभी विधायकों का कांग्रेस में विलय पत्र मिल चुका है। अब इसमें किसी प्रकार की कानूनी अड़चन नहीं है।
बसपा विधायक सोमवार रात 9:30 बजे पहले मुख्यमंत्री गहलोत से मिले। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष जोशी से मिलकर देर रात कांग्रेस में विलय का पत्र सौंपा। विलय को जोशी ने मंजूरी दे दी। इसके बाद तमाम बसपा विधायक रात 11 बजे राजस्थान यूनिवर्सिटी स्थित गेस्ट हाउस पहुंचे और मर्जर का औपचारिक ऐलान किया।अब तक बसपा की ओर से कांग्रेस को बाहरी समर्थन था। उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट इस पूरे घटनाक्रम से दूर रहे।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “प्रदेश को नए विकास पथ पर ले जाएंगे स्थायी सरकार के लिए राज्यहित में बसपा विधायकों का यह फैसला स्वागत योग्य है। उनकी भावनाएं अच्छी हैं। हम सब मिलकर राजस्थान को विकास के नए पथ पर ले जाएंगे।”इससे पहले, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2009 में भी इसी तरह बसपा के छह विधायकों को पार्टी में शामिल किया था।
ये 6विधायक शामिलहुए
- उदयपुरवाटी राजेंद्र गुढा (झुंझुनूं)
- वाजिब अली (नगर भरतपुर)
- जाेगिंदर अवाना (नदबई,भरतपुर)
- संदीप यादव (तिजारा, अलवर)
- दीपचंद खेरिया (किशनगढ़ बास, अलवर)
- लाखन सिंह (कराैली)
विधानसभा मेंदलीय स्थिति
कुल सीटें: 200
दल | सीटें (17 सितंबर, 2019) | सीटें (2018 विधानसभा चुनाव के वक्त) |
कांग्रेस | 106 | 99 |
भाजपा | 72 | 73 |
निर्दलीय | 13 | 13 |
बीटीपी | 02 | 02 |
माकपा | 02 | 02 |
आरएलपी | 02 | 03 |
आरएलडी | 01 | 01 |
बसपा | 00 | 06 |
खाली सीटें | 02 | 01* |
कुल सीटें | 200 | 200 |
*2018 केविधानसभा चुनाव में रामगढ़ सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के निधन हो जाने से चुनाव स्थगित हो गया था। बाद में हुए चुनाव में यह सीट कांग्रेस ने जीत ली थी।
2009 में ये शामिल हुए थे
- राजकुमार शर्मा (नवलगढ़)
- राममेश मीणा (गंगापुर सिटी)
- रमेश मीणा (सपाेटरा)
- गिर्राज सिंह मंलिगा (बाड़ी)
- राजेंद्र गुढा (उदयपुरवाटी)
- मुरारीलाल मीणा (दाैसा)
इस विलय के मायने
- विधानसभा में गहलाेत सरकार का नंबर गेम मजबूत हुआ, कांग्रेस विधायकाें की संख्या अब 106 हुई।
- इस विलय से साफ मैसेज गया है कि गहलाेत ने सियासत के सबसे बड़े जादूगर हैं। उनका कोई विकल्प नहीं।
- कांग्रेस में शामिल बसपा विधायकाें काे मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। हालांकि इससे कांग्रेस के भीतर भी संघर्ष होगा। लेकिन 2008 में गहलोत यह संतुलन साध चुके हैं।
- उपचुनाव और निकाय चुनाव में कांग्रेस को इस विलय का फायदा मिलेगा, क्योंकि बसपा के जो 6 विधायक कांग्रेस में आए हैं, उनका जातिगत फैलाव काफी मजबूत है। इसका फायदा मिलेगा।
बसपा प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी का देर रात तक पता ही नहीं
बसपा प्रदेशाध्यक्ष सीताराम मेघवाल और प्रदेश प्रभारी धर्मवीर अशोक से रात करीब 11 बजे बात की गई। दोनों ने कहा कि उन्हें बसपा विधायकों के कांग्रेस में जाने की कोई सूचना ही नहीं है। अगर उन्हें पहले पता होता तो वे इस मर्जर को जरूर रोकते।
मिल सकता है मंत्री पद
बसपा के छह विधायक अब कांग्रेस में है। इन्हें इसका ईनाम मिलना तय है। सभी पावर सेंटर में एडजेस्ट हाेंगे। संभवत इनमें से कम से कम दाे या अधिकतम तीन मंत्री तक बनाएं जा सकते हैं। दाे सचेतक आदि पदाें पर एडजेस्ट हाेंगे।
मंत्री डाॅ. सुभाग गर्ग का भी कांग्रेस में आना तय
इस प्रकरण के बाद आरएलडी से विधायक और कांग्रेस सरकार में मंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग का भी कांग्रेस में आना तय माना जा रहा है। माना जा रहा है कि बसपा की तर्ज किसी भी समय ऐसा हाे जाएगा। बसपा विधायकाें के विलय में भी डाॅ. सुभाष गर्ग की भूमिका रही है।