नई दिल्ली | केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) केवल 43 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में यूजी प्रवेश के लिए तैयार की गई थी। अभी भी कई संस्थान सीयूईटी के अंतर्गत नहीं आते है, लेकिन शिक्षा मंत्रालय स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए इसे एक अखिल भारतीय प्रवेश प्रक्रिया बनाना चाहता है। यूजीसी इसके लिए बकायदा सभी राज्य और निजी विश्वविद्यालयों एवं अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों से संपर्क कर रहा है।
यूजीसी ने सभी राज्य सरकारों और प्राइवेट विश्वविद्यालयों से छात्रों को अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अपनाने की अपील की है। हाल ही में असम, मणिपुर, सिक्किम, झारखंड, त्रिपुरा और बिहार जैसे राज्यों के विश्वविद्यालयों से इस विषय में चर्चा की गई है। यूजीसी ने निजी शिक्षण संस्थानों से कहा है कि सीयूईटी पर चर्चा करें, इसके सकारात्मक पहलुओं को समझें और इसके आधार पर अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिला देने की प्रक्रिया का हिस्सा बने।
यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एवं जगदीश कुमार विभिन्न राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के विषय पर चर्चा कर चुके हैं। यूजीसी के चेयरमैन ने जिन राज्यों के विश्वविद्यालयों सीयूईटी का हिस्सा बनने को लेकर चर्चा की है उनमें असम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, झारखंड और बिहार शामिल है। केवल राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि टाटा यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस मुंबई और हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी जैसे संगठनों ने यूजीसी के साथ हुई बैठक में सीयूईटी का हिस्सा बनने में रुचि दिखाई है।
यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के मुताबिक उन्होंने असम, मणिपुर, सिक्किम, त्रिपुरा, बिहार और झारखंड के राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से चर्चा की। उन्हें यूजी प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अपनाने की आवश्यकता के बारे में बताया गया। यूजीसी चेयरमैन का कहना है कि कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने सीयूईटी को अपनाने पर काम करने पर सहमति जताई है।
यदि यूजीसी का यह प्रयास संभव हो पाता है तो प्राइवेट विश्वविद्यालयों, राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए यह एक कदम महत्वपूर्ण होगा। फिलहाल सीयूईटी पर लिया गया केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का फैसला देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों पर लागू होता है।
वहीं यदि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की बात की जाए तो जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने भी शैक्षणिक सत्र 2022-23 से कई स्नातक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) को लागू करने का फैसला किया है। विश्वविद्यालय ने इसके बारे में यूजीसी और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को भी सूचना दे दी है।
उधर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज ने कहा कि वह सीयूईटी के अंकों को 85 प्रतिशत और साक्षात्कार को 15 प्रतिशत अंक देगा। हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय चाहता है कि सेंट स्टीफन सभी सामान्य छात्रों को सीयूईटी के आधार पर ही दाखिला दे और कॉलेज को केवल सीयूईटी के अंकों को ध्यान में रखना चाहिए।
यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने बकायदा सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के कुलपतियों और निदेशकों को सीयूईटी अपनाने के लिए पत्र लिखा है। यूजीसी ने सभी राज्य सरकारों और प्राइवेट विश्वविद्यालयों से छात्रों को प्रवेश देने के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अपनाने की अपील की है। यूजीसी ने निजी शिक्षण संस्थानों से कहा है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 से ही स्नातक कार्यक्रमों में सीयूईटी को अमल में लाने की कोशिश करें।
यूजीसी द्वारा उठाए गए इन कदमों का शुरूआती असर भी देखने को मिला है देश के आठ डीम्ड विश्वविद्यालयों ने अपने स्नातक कोर्सों में छात्रों को दाखिला देने के लिए सीयूईटी अंकों का इस्तेमाल प्रारंभिक सहमति दी है। हरिद्वार का गुरुकुल कांगड़ी, दिल्ली का जामिया हमदर्द, मुंबई स्थित टिस, गांधीग्राम ग्रामीण संस्थान, आगरा डिंडीगुल दयालबाग शैक्षणिक संस्थान, कोयंबटूर का अविनाशीलिंगम इंस्टीट्यूट ऑफ होम साइंसेज, कोलकाता स्थित रामकृष्ण विवेकानंद शैक्षणिक अनुसंधान संस्थान और अहमदाबाद का गुजरात विद्यापीठ सीईयूटी के लिए प्रारंभिक सहमति देने वाले संस्थानों में शामिल है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यानी एनटीए ने विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट की अधिसूचना जारी कर दी है। देश भर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एडमिशन फॉर्म 6 अप्रैल से वेबसाइट पर उपलब्ध कराए जा चुके हैं। एडमिशन के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 6 मई 2022 है ।