नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति-मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (Monetary Policy Committee-MPC) की बैठक आज (सोमवार) से शुरू हो गई है. आठ दिसंबर को आरबीआई मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे जारी करेगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति निर्धारण समिति एमपीसी की इस हफ्ते होने वाली बैठक में ब्याज दरों कोई बदलाव होने की संभावना नहीं दिख रही है. इसकी वजह ओमीक्रोन के कारण दुनियाभर के बाजारों में अचानक फैली अनिश्चतता है. ऐसी स्थिति में मौद्रिक समिति नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव के लिए थोड़ा इंतजार करने का रुख अपनी सकती है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में चलने वाली MPC की बैठक में नीतिगत दरों में बदलाव करने समेत कई आर्थिक फैसलों की समीक्षा की जाएगी. आठ दिसंबर को आने वाली क्रेडिट पॉलिसी पर सभी की नजरें हैं और इसमें ब्याज दरों में कोई बदलाव न होने की उम्मीद जताई जा रही है.
वहीं, दरों को कम करने की बात करें, तो कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन की चिंता के बीच भारतीय रिजर्व बैंक अपनी आगामी नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति बनाए रख सकता है. केंद्रीय बैंक ने गत अक्टूबर में भी नीतिगत दरों को यथावत रखा था.
एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक, MPC की बैठक में रिवर्स रेपो दर (reverse repo rate) में वृद्धि का फैसला होने की चर्चा अभी अपरिपक्व है. इसके अलावा रिवर्स रेपो दर बढ़ाने जैसा गैर-परंपरागत कदम केंद्रीय बैंक सिर्फ एमपीसी में ही नहीं लेना चाहेगा.
कोटक इकनॉमिक रिसर्च की एक रिपोर्ट कहती है कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप पर फैली अनिश्चितता के बीच रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में बदलाव का फैसला करने से पहले शायद स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार करेगा. हालांकि, इसने फरवरी में होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा में रिवर्स रेपो दर में वृद्धि का अपना अनुमान बरकरार रखा है.
संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक ने भी कहा है कि आरबीआई रिवर्स रेपो दर में वृद्धि का फैसला मौजूदा हालात में शायद न करे. एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि ऐसी स्थिति में घर खरीदारों को सस्ती दरों पर आवास ऋण मिलना कुछ और वक्त तक जारी रहेगा.
अगर रिजर्व बैंक बुधवार को नीतिगत ब्याज दरें अपरिवर्तित रखता है तो यह लगातार नौंवां मौका होगा जब दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. रिजर्व बैंक ने आखिरी बार दरों में बदलाव 22 मई, 2020 को किया था.
बता दें कि केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर चार प्रतिशत पर बनी रहे, जिसमें दो प्रतिशत उतार-चढ़ाव की गुंजाइश है. केंद्रीय बैंक ने गत अगस्त में मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं से प्रमुख ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा था.