रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पर दावे का विवाद नये मोड़ पर पहुंच गया है। चुनाव आयोग ने चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के गुटों के बीच तनातनी के बीच लोक जनशक्ति पार्टी का चुनाव चिन्ह ही फ्रीज कर दिया है। चुनाव आयोग के मुताबिक पारस पासवान या चिराग पासवान के दो समूहों में से किसी को भी लोजपा के प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को अंतरिम उपाय के रूप में, अपने गुट के नये नाम और प्रतीक-चिन्ह चुनने को कहा है। यानी चुनाव आयोग के अगले आदेश तक दोनों गुटों में से कोई भी लोजपा का चुनाव चिन्ह इस्तेमाल नहीं कर सकता है। आपको बता दें कि बिहार के कुशेश्वर अस्थान (दरभंगा) और तारापुर (मुंगेर) विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं। ये आदेश इसी को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।
बता दें कि LJP के दोनों ही गुट एक ही पार्टी-चिन्ह का उपयोग कर रहे हैं। इसे लेकर लोक जनशक्ति पार्टी (चिराग समूह) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर दावा किया था कि पार्टी का “बंगला” चुनाव चिन्ह है। उन्होंने चुनाव आयोग से उपचुनाव के लिए नामांकन की तारीखों से पहले अपना रुख स्पष्ट करने का आग्रह किया था। उसके बाद शनिवार को चुनाव आयोग ने इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करते हुए चुनाव चिन्ह “बंगला” को फ्रीज कर दिया।
2020 के विधानसभा चुनाव में, चिराग पासवान ने NDA से नाता तोड़कर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ एक सीट जीत पाये। ये विधायक भी जल्द ही जेडीयू में शामिल हो गया। उसके बाद उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने उन्हें इस हार के लिए दोषी ठहराते हुए पार्टी को विभाजित कर दिया और खुद को लोजपा अध्यक्ष घोषित कर दिया। उसके बाद से ही चिराग पासवान, इस पार्टी पर अपना कब्जा बनाने की कोशिश में जुटे हैं।