इंदौर ।
बगैर कार्यपरिषद से पूछे कामन एंट्रेस टेस्ट (सीईटी) की पद्धति तय किए जाने से सदस्य देवी अहिल्या विश्वविद्यालय प्रशासन से नाराज है। साढ़े तीन महीने बाद हुई बैठक में सदस्यों ने अपनी नाराजगी जताई और बोले कि परीक्षा करवाना एक नीतिगत निर्णय है। इसके बारे में सदस्यों से राय लेना थी। बात को संभालते हुए कुलपति डा. रेणु जैन ने कहा कि संक्रमण की वजह से बैठक बुलाना संभव नहीं था। बाद में सदस्यों ने विश्वविद्यालय की कम्प्युटर बेस प्रवेश परीक्षा सीईटी को हरी-झंडी दी। ये पहला मौका है जब नीट और नेट जैसी प्रवेश परीक्षा करवाने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) इस साल विश्वविद्यीलय की प्रवेश परीक्षा आयोजित करेंगी। सदस्यों ने एनटीए को परीक्षा के लिए मंजूरी दी। उधर डीएवीवी का 350 करोड़ का बजट भी मामूली संशोधन के बाद पास कर दिया।
सोमवार को कार्यपरिषद की बैठक में पहुंचते ही सदस्यों ने कोविड से मरने वाले कर्मचारी-अधिकारियों के लिए दो मिनट का मौन रखा। साढ़े तीन महीने बाद रखी बैठक में कुल 15 मुद्दे पर बहस हुई। वित्तीय समिति ने सीईटी पर खर्च को लेकर प्रस्ताव रखा। परीक्षा संचालन पर विवि ने 2 करोड़ 80 लाख रूपये खर्च बताया है, जिसमें 40-60 लाख विज्ञापन, एक करोड़ एजेंसी को परीक्षा-रिजल्ट और बाकी राशि सेंटर-काउंसिलिंग सहित अन्य खर्च शामिल है। साथ ही विश्वविद्यालय ने एक से डेढ़ करोड़ रूपये रजिस्ट्रेशन से कमाई बताई है। सदस्यों ने कम्प्यूटर बेस सीईटी के बारे में तकनीकी दिक्कतों पर भी चर्चा की।
जहां विवि ने नेशनल ट्रेस्टिंग एजेंसी से अनुबंध करना बताया है। इतना ही नहीं विद्यार्थियों की सुविधा के लिए मॉक टेस्ट भी रखा जाएगा। यह परीक्षा से पंद्रह दिन पहले विश्वविद्यालय आयोजित होगा। ताकि छात्र-छात्राएं घर बैठे परीक्षा की तैयारी कर सकेंगे। अधिकारियों ने बताया कि सेंटर पर एक दिन पहले एजेंसी कम्प्यूटर में पेपर फीड करेंगी। यह काम विश्वविद्यालय की निगरानी में किया जाएगा। बताया जाता है कि एमपी आनलाइन की दरें ज्यादा होने से विश्वविद्यालय ने एनटीए पर ज्यादा जोर दिया है।