सभी ने कपिल मुनि का नाम सुना होगा। श्रीमद्भगवत के अनुसार इन्हें विष्णु के 24 अवतारों में से एक पांचवां अवतार माना जाता है। इनको अग्नि का अवतार और ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा गया है। आओ जानते हैं कपितल मुनि के बारे में 10 खास बातें।
1. कर्दम ऋषि ने विवाह पूर्व सतयुग में सरस्वती नदी के किनारे भगवान विष्णु की घोर तपस्या की थी। उसी के फलस्वरूप भगवान विष्णु कपिलमुनि के रूप में कर्दम ऋषि के यहां जन्में। इनकी माता स्वायंभुव मनु की पुत्री देवहूति थी। कला, अनुसुइया, श्रद्धा, हविर्भू, गति, क्रिया, ख्याति, अरुंधती तथा शान्ति आदि कपिल मुनि की बहनें थीं
2. शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म पितामह के शरीर त्याग के समय वेदज्ञ वेद व्यास आदि ऋषियों के साथ भगवान कपिल भी वहां उपस्थित थे। महाभारत में कपिल मुनि के उपदेश को कपिल गीता का नाम से जाना जाता है।
3. भगवान कपिल के क्रोध से ही राजा सगर के साठ हजार पुत्र भस्म हो गए थे।
4. भगवान कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हैं।
5. कपिल मुनि भागवत धर्म के प्रमुख बारह आचार्यों में से एक हैं।
6. कहा जाता है, प्रत्येक कल्प के आदि में कपिल जन्म लेते हैं।
7. कपिलवस्तु नामक नगर कपिल मुनि के नाम पर बसा नगर था जहां पर गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। कपिल मुनि का जन्मस्थान संभवत: कपिलवस्तु और तपस्या स्थल गंगासागर था।
8. कपिलजी का आश्रम सरस्वती नदी के तट पर बिंदु सरोवर पर था, जो द्वापर का तीर्थ तो था ही आज भी तीर्थ है। बिंदु सरोवर अहमदाबाद (गुजरात) से 130 किलोमीटर उत्तर में अवस्थित ऐतिहासिक सिद्धपुर में स्थित है। इस स्थल का वर्णन ऋग्वेद की ऋचाओं में मिलता है जिसमें इसे सरस्वती और गंगा के मध्य अवस्थित बताया गया है। संभवतः सरस्वती और गंगा की अन्य छोटी धाराएं पश्चिम की ओर निकल गई होंगी। इस सरोवर का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है।
9. कपिल मुनि के नाम से कई ग्रंथ प्रसिद्ध हैं, जिनमें प्रमुख हैं- ‘सांख्य सूत्र’, ‘तत्व समास’, ‘व्यास प्रभाकर’, ‘कपिल गीता’, ‘कपिल पंचराम’, ‘कपिल स्तोभ’ और ‘कपिल स्मृति’।
10. जैनश्रुति के अनुसार कपिल मुनि ने साधारण मानव समझकर राम, सीता और लक्ष्मण को अपनी कुटिया से निकाल दिया था बाद वे पछताए थे।