कोरोना संकट में भारत ने एक अच्छा पड़ोसी होने के नाते नेपाल को फ्री और बेहद कम दाम में वैक्सीन दी। दूसरी तरफ चीन खुद को नेपाल का दोस्त बताकर उसी को चूना लगा रहा है। नेपाल को उसके नए दोस्त चीन ने न सिर्फ महंगे दाम में वैक्सीन बेची बल्कि कीमत का खुलासा करने पर भी रोक रहा है। जब नेपाल ने चीनी वैक्सीन की कीमत को उजागर किया तो चीन भड़क गया है। नेपाली मीडिया ने सिनोफार्म वैक्सीन की खरीद मूल्य का खुलासा किया है, जिसके एक डोज की कीमत 10 डॉलर यानी करीब 741 रुपए बताई जा रही है। नेपाल इसी रेट पर चीन से कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए वैक्सीन खरीदने की योजना बना रहा है।
इससे पहले नेपाल सरकार ने भारत से फरवरी महीने में 2 मिलियन डोज खरीदने के पैसे दिए थे। नेपाल को सीरम की ओर से ये वैक्सीन मिली। इस सौदे में नेपाल सरकार ने वैक्सीन की एक डोज के लिए 4 डॉलर (296 भारतीय रुपए) का भुगतान किया था। इसका मतलब है कि नेपाल को भारत से मिलने वाली वैक्सीन की दो डोज की कीमत 8 डॉलर यानी करीब 593 भारतीय रुपए है। इस तरह से नेपाल को भारत की तुलना में चीन ने काफी महंगे दाम में टीके बेचे हैं।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस से निपटने के लिए नेपाल की ओली सरकार ने चीन से कोरोना वैक्सीन की 40 लाख डोज खरीदने का सौदा किया है। लेकिन चीन की सिनोफार्म कंपनी की शर्त है कि नेपाल इस वैक्सीन की खरीद की कीमत का खुलासा नहीं करेगा।
कंपनी ने समझौता किया है कि नेपाल इसकी कीमत और डिलीवरी डेट से संबंधित सूचना को सार्वजनिक नहीं करेगा मगर मीडिया में इसकी सूचना आने पर चीन तमतमा गया है। काठमांडू पोस्ट के एक आर्टिकल द्वारा सिनोफार्म वैक्सीन की कीमत का पता चला है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन से कोरोना के ये टीके एक नॉन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट के तहत खरीदे जाने हैं। इस एग्रीमेंट के बिना चीन नेपाल को वैक्सीन देने को तैयार नहीं था। काठमांडू पोस्ट के आर्टिकल में दो मंत्रियों और दो सरकारी सचिवों की पुष्टि के आधार पर नेपाल को आपूर्ति की जाने वाली सिनोफार्म वैक्सीन की खुराक की कीमत का पता चला, जो सोमवार की कैबिनेट में मौजूद थे। इन्होंने ही सिनोफार्म से वैक्सीन की 4 मिलियन यानी 40 लाख खुराक खरीदने का फैसला किया था।
अखबार ने बताया कि चीनी वैक्सीन निर्माता कंपनी सिनोफार्म की नॉन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट की प्रकृति को देखते हुए अभी फाइनल कीमत तय नहीं की गई है, मगर अधिकारियों के अनुसार, यह लगभग 10 डॉलर यानी 741 रुपए (भारतीय रुपए) प्रति खुराक हो सकती है। यानी वैक्सीन की दो डोज की कीमत 1482 रुपए (भारतीय रुपए) हो सकती है। यहां बताना जरूरी है कि नेपाल को भारत ने इससे काफी कम दाम में वैक्सीन दी है। नेपाली स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ कृष्ण प्रसाद पौडेल ने बताया कि जिस तरह से मीडिया ने वैक्सीन की कीमत और अन्य लॉजिस्टिक मुद्दों को सार्वजनिक किया, वह चिंताजनक है क्योंकि ये बहुत संवेदनशील मुद्दे हैं। कई अधिकारियों ने पुष्टि की कि चीन ने नेपाल सरकार की एजेंसियों के प्रति अपनी नाराजगी बताई।
अधिकारियों ने अखबार को बताया कि सिनोफार्म ने नेपाल सरकार द्वारा वैक्सीन खरीद को सार्वजनिक करने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। अधिकारियों की मानें तो इसी तरह काठमांडू में चीनी दूतावास ने भी विदेश मंत्रालय को वैक्सीन खरीद के सौदे के समझौते के बारे में याद दिलाया।चीन की नाराजगी का असर यह हुआ कि नेपाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मीडिया पर ही भड़ास निकालने लगे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान जारी कर चीन से वैक्सीन खरीदने की मीडिया में आई खबरों का खंडन किया। इसने न केवल यह कहा कि अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है, बल्कि चीन से टीके की खरीद के बारे में सूचना प्रसारित करने के लिए मीडिया को दोषी ठहराया है।
मंत्रालय की ओर से जो बयान जारी किया गया वह अंग्रेजी में था, जो प्राय: ऐसा नहीं होता है। इसमें कहा गया कि नेपाल ने चीन ने वैक्सीन में सहयोग के लिए अनुरोध किया है। इंग्लिश में बयान जारी करने को लेकर मंत्रालय के प्रवक्ता समीर कुमार अधिकारी ने कहा कि क्योंकि वैक्सीन खरीद की सूचना ज्यादातर अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित हैं इसलिए खंडन भी अंग्रेजी में ही जारी किया गया है। इस बीच सिनोफार्म के साथ वैक्सीन सौदे ने अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी विवाद खड़ा कर दिया है। बांग्लादेश में भी वैक्सीन की कीमत का खुलासा होने के बाद देश के वित्त मंत्रालय ने नेपाल की तरह ही एक बयान जारी किया था।