पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्गलोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। 18 मई 2021 को गंगा सप्तमी थी। ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने से 10 प्रकार के पापों का नाश होता है। इसलिए इस पर्व को गंगा दशहरा कहा जाता है। इस दिन का महत्व दान पुण्य के लिए काफी अधिक बताया गया है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन राजा भगीरथ की विशेष तपस्या से गंगा जी का अवतरण स्वर्ग से धरती पर हुआ था।
गंगाजी को सभी नदियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस वर्ष यह 20 जून 2021 को मनाया जाएगा।
आओ जानते हैं कि गंगा जल के पांच उपयोग।
1. गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है।
2. ऐसी आम धारणा है कि मरते समय व्यक्ति को यह जल पिला दिया जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. गंगा जल से ही जन्म, मरण या ग्रहण के सूतक का शुद्धिकरण किया जाता है।
4. गंगा जल को पीने से प्राणवायु बढ़ती है। इसीलिए गंगाजल का आचमन किया जाता है।
5. पूजा-अर्चना, अभिषेक और कई धार्मिक अनुष्ठानों में गंगा जल का प्रयोग किया जाता है।
6. प्राचीकाल के ऋषि अपने कमंडल में गंगा का जल ही रखते थे। उसी जल को हाथ में लेकर या किसी के उपर छिड़कर उसे वरदान या श्राप देते थे।