गृहस्थ जीवन मानव के लिए वरदान स्वरूप ही है क्योंकि पूरे समाज का ढांचा और समाज के सभी वर्ग गृहस्थ पर ही आधारित हैं। साधु, संन्यासी, योगी आदि भी गृहस्थ शिष्यों के सहारे ही जीवन-यापन करते हैं परन्तु आधुनिक सभ्यता में जरूरत से ज्यादा मानसिक चिंताएं आदि की वजह से परिवार टूटने लगे हैं, पारिवारिक मतभेद अपने चरम पर पहुंच जाते हैं।
छोटी-छोटी बातें विवाद का रूप ले लेती हैं और घर का माहौल अशांतिमय बन जाता है। ऐसे तनावग्रस्त माहौल में व्यक्ति अपना पूरा ध्यान परिवार पर नहीं रख सकता और सुख, दुख में तबदील होते से नजर आते हैं लेकिन हमने ढूंढ निकाले हैं कुछ ऐसे सरल टोटके जिन्हें सफलतापूर्वक करके आप अपने टूटते व बिखरते घर-परिवार को फिर से जोड़ सकते हैं।
घर-परिवार में शांति, खुशहाली के लिए
शुक्ल पक्ष के बृहस्पति को यह क्रिया शुरू करें तथा 11 बृहस्पतिवार तक लगातार करें। उपाय इस प्रकार है-घर या व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगा जल से धो लें। इसके बाद स्वस्तिक बनाएं।
उस पर चने की दाल तथा थोड़ा-सा गुड़ रख दें। इसके बाद स्वस्तिक को बार-बार देखें। अगर वह खराब हो जाए तो सामान को इकट्ठा करके जल प्रवाह करें। 11 बृहस्पतिवार के बाद गणेश जी को सिंदूर लगा कर उनके सामने पांच लड्डू रखें तथा कहें। ‘जय गणेश काटो क्लेश’। इससे व्यापार में वृद्धि होगी तथा खुशहाली रहेगी।
मनोकामना पूर्ति
यह सिद्ध प्रयोग है। गुरुवार के दिन, पुष्य नक्षत्र होने पर यह विशेष प्रभावशाली होगा। गुरुवार के दिन सूर्योदय के समय (सूर्योदय से 1 घंटे तक) या सूर्यास्त के समय कच्चे सूत को 11 बार लपेटें, अपनी आवश्यकतानुसार लें तथा इसमें बल चढ़ा लें, ताकि सूत मजबूत हो जाए।
शुद्ध केसर को गंगाजल में घोल कर उससे इसे केसरिया रंग में रंग लें। फिर इसे भगवान के चरणों में रख कर अपनी इच्छा तीन बार मन में बोलें। भद्रारहित समय में (उस दिन गुरुवार को कार्य करते समय भद्रा न हो) इसे अपनी दाहिने हाथ की कलाई पर बांध लें, या गले में बांध लें, या गले में बांध लें।