राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जब से कांग्रेस छोड़कर गए हैं, उनके दबदबे को लेकर हमेशा बहस छिड़ती रही है। हाल ही में राजस्थान में हुए तीन सीटों पर उपचुनाव में एक सीट पर सिंधिया ने भी दम लगाया था। भाजपा ने पायलट के गढ़ में सहाड़ा सीट पर सिंधिया को स्टार प्रचारक बनाकर भेजा लेकिन वहां जादू चला नहीं। कांग्रेस यह सीट जीत गई है। कहते सकते हैं कि सिंधिया पर कांग्रेस के उनके दोस्त सचिन पायलट भारी पड़े। इससे पहले नवंबर में MP में हुए उपचुनाव में राजस्थान से कांग्रेस नेता सचिन पायलट द्वारा शिवपुरी में सिंधिया के गढ़ में करैरा और पोहरी में प्रचार किया था। करैरा सीट कांग्रेस ने जीती थी।
सहाड़ा के गंगापुर में 11 अप्रैल को किया था प्रचार
राजस्थान में तीन विधानसभा सीट सहाड़ा, सुजानगढ़ व राजसमंद में उपचुनाव हुए। भीलवाड़ा जिले की सहाड़ा विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। यहां से वर्ष 2018 में कांग्रेस के कैलाश त्रिवेदी जीते थे। पर हाल ही में उनके निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। यहां उपचुनाव 17 अप्रैल को मतदान होना था। यहां कांग्रेस से प्रत्याशी गायत्री देवी और भाजपा से डॉ. रतनलाल जाट प्रत्याशी हैं। भाजपा ने सचिन के गढ़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया को स्टार प्रचारक बनाकर दांव खेला क्योंकि यहां काफी सिंधिया समर्थक कांग्रेसी थे। इनको सिंधिया अपनी ओर खींच सकते थे। सिंधिया ने सहाड़ा शहर और गंगापुर में सभाएं व रोड शो किया। पर उनका जादू सचिन के गढ़ में चल नहीं पाया। 2 मई (रविवार) का उपचुनाव के नतीजे ने सब साफ कर दिया। कांग्रेस की उम्मीदवार गायत्री देवी दोपहर बाद 25वें राउंड के बाद 38 हजार वोट से जीत की ओर हैं।
सिंधिया के गढ़ में पायलट दे गए थे चुनौती
जब सिंधिया भाजपा में शामिल हुए तो नवंबर में मध्य प्रदेश में उपचुनाव हुए थे। कांग्रेस ने उपचुनाव में पूरी ताकत लगा दी थी। राजस्थान के बड़े नेता सचिन पायलट को सिंधिया के गढ़ में स्टार प्रचारक के रूप में उतारा गया था। शिवपुरी जिले के करैरा और पोहरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के समर्थन में पायलट ने सभाएं व रोड शो किया था। यहां सचिन को इस लिए भी बुलाया था कि करैरा गुर्जर बाहुल्य इलाका था। गुर्जर समाज के सबसे बड़े नेता सचिन पायलट हैं। यहां उनका जादू चला भी। 10 नवंबर को चुनाव के नतीजे आने पर करैरार से कांग्रेस प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव ने जीत हासिल की थी, जबकि पोहरी में भाजपा के सुरेश धाकड़ राठखेड़ा ने बाजी मारी थी।